Social Media का आपके इस दुनिया से जाने के बाद क्या होगा। (सौ. Design)
कल्पना कीजिए कि किसी प्रियजन के अंतिम संस्कार की तैयारियों के दौरान आप उनकी पसंदीदा धुन चलाना चाहते हैं, लेकिन जैसे ही आप उनका Spotify अकाउंट खोलने का प्रयास करते हैं, पता चलता है कि लॉगिन डिटेल्स आपके पास नहीं हैं। ऐसे में उनकी पसंदीदा प्लेलिस्ट, सालाना ‘रैप्ड’ और अन्य डिजिटल यादें हमेशा के लिए खो सकती हैं। आज जब अधिकतर जीवन ऑनलाइन हो चला है, तो डिजिटल डेटा हमारी विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है, जिसे डिजिटल विरासत कहा जाता है।
डिजिटल विरासत को दो मुख्य वर्गों में बांटा जा सकता है—डिजिटल संपत्तियां और डिजिटल उपस्थिति।
डिजिटल संपत्तियों में वे चीज़ें आती हैं जिनका आर्थिक मूल्य होता है जैसे वेबसाइट डोमेन, ऑनलाइन कारोबार, क्रिप्टोकरेंसी, मॉनेटाइज्ड सोशल मीडिया अकाउंट्स और डिजिटल फाइलें। इन तक पहुंच अक्सर पासवर्ड सुरक्षा के कारण कठिन होती है।
वहीं, डिजिटल उपस्थिति का भावनात्मक महत्व अधिक होता है—सोशल मीडिया प्रोफाइल्स, फोटो, वीडियो, ईमेल्स, चैट्स और क्लाउड में सेव यादें। आज के दौर में इसमें हेल्थ डेटा, लोकेशन हिस्ट्री, सर्च पैटर्न और यहां तक कि AI द्वारा बनाए गए वर्चुअल अवतार भी शामिल हो चुके हैं।
जिस प्रकार हम भौतिक संपत्ति के लिए वसीयत तैयार करते हैं, उसी तरह डिजिटल संपत्ति की भी एक सुव्यवस्थित योजना आवश्यक है। ऐसा नहीं करने पर परिवारजनों को ना सिर्फ भावनात्मक नुकसान होता है, बल्कि वे आपकी डिजिटल यादों से भी वंचित रह सकते हैं।
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योजना के अभाव में परिवार को डेटा तक पहुंचने के लिए डेथ सर्टिफिकेट, कोर्ट ऑर्डर जैसे दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है। कभी-कभी तो अकाउंट्स हमेशा के लिए लॉक हो जाते हैं, और परिजन यादों के इन टुकड़ों तक नहीं पहुंच पाते।