Nirmala के फैसले का क्या है सच। (सौ. Design)
नवभारत टेक डेस्क: सरकार द्वारा 2000 रुपये से अधिक के UPI (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) लेनदेन पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) लगाए जाने की चर्चाओं को वित्त मंत्रालय ने पूरी तरह खारिज कर दिया है। मंत्रालय ने शुक्रवार को एक आधिकारिक बयान जारी कर इन दावों को “पूरी तरह गलत, भ्रामक और तथ्यहीन” बताया।
वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि सरकार के समक्ष इस तरह का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। मंत्रालय के अनुसार, “GST केवल कुछ विशेष भुगतान माध्यमों के ज़रिए किए गए लेनदेन पर लागू शुल्क जैसे मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) पर ही लगाया जाता है।”
वित्त मंत्रालय ने बताया कि 30 दिसंबर 2019 को जारी गजट अधिसूचना के तहत केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने जनवरी 2020 से पर्सन-टू-मर्चेंट (P2M) UPI लेनदेन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) को समाप्त कर दिया था। चूंकि वर्तमान में UPI ट्रांजैक्शन पर कोई MDR नहीं लगाया जाता है, इसलिए इन लेनदेन पर GST भी लागू नहीं होता।
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मंत्रालय ने यह भी दोहराया कि सरकार डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और UPI जैसे माध्यमों को और सुलभ व सुविधाजनक बनाने के प्रयास जारी रहेंगे।
इस तरह की अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील करते हुए मंत्रालय ने नागरिकों से केवल आधिकारिक स्रोतों से प्राप्त सूचना पर विश्वास करने की सलाह दी है।