TCS को लेकर बड़ी खबर। (सौ. X)
TCS Layoffs and Hiring Freeze: Tata समूह की आईटी शाखा TCS (टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज) एक बार फिर चर्चा में है। कुछ समय पहले कंपनी ने लगभग 12,000 कर्मचारियों की छंटनी करके सबको चौंका दिया था, वहीं अब वरिष्ठ स्तर की नियुक्तियों और वेतन वृद्धि पर रोक लगाने की खबर सामने आ रही है। इन दोनों घटनाओं ने देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी की आंतरिक स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी की नई पॉलिसी के तहत अब उन कर्मचारियों पर कार्रवाई हो रही है जो किसी भी प्रोजेक्ट में सक्रिय नहीं हैं। पुणे, हैदराबाद, कोलकाता और चेन्नई जैसे बड़े शहरों में कई कर्मचारियों को नोटिस जारी किए गए हैं। “35 दिनों के अंदर प्रोजेक्ट जॉइन करें या कंपनी छोड़ दें”, यही संदेश अब सैकड़ों कर्मचारियों को मिल रहा है। बताया जा रहा है कि अनुभवी कर्मचारियों की नियुक्ति में भी 65 दिनों से ज़्यादा की देरी हो रही है।
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इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ कर्मचारी ने कहा – “TCS का ढांचा और आकार इतना बड़ा है कि इसमें बदलाव लाने में समय लग रहा है। दूसरी कंपनियों ने AI की लहर को तेज़ी से पकड़ा और समय पर निवेश भी किया। लेकिन TCS अभी भी धीरे-धीरे पुनर्गठन कर रही है।” इस बयान से साफ़ है कि कंपनी तकनीकी बदलावों की दौड़ में पिछड़ रही है।
IT यूनियन NITES (Nascent Information Technology Employees Senate) ने TCS द्वारा बड़े पैमाने पर की गई छंटनी के खिलाफ श्रम मंत्रालय को शिकायत भेजी है। यह तीसरी बार है जब NITES ने TCS के खिलाफ मंत्रालय को पत्र लिखा है। यूनियन का आरोप है कि मध्यम और वरिष्ठ स्तर के कर्मचारियों को बिना किसी स्पष्ट कारण के नौकरी से निकाल दिया गया है।
हाल ही में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने मध्यम और वरिष्ठ स्तर के कर्मचारियों समेत 12,000 कर्मचारियों की छंटनी करके आईटी सेक्टर में हलचल मचा दी थी। इसके बाद कंपनी ने नियुक्तियाँ और वेतन वृद्धि भी रोक दी है, जिससे कर्मचारियों में चिंता का माहौल है। नई नीति के तहत, जिन कर्मचारियों के पास 35 दिनों के भीतर कोई प्रोजेक्ट नहीं है, उन्हें नौकरी छोड़ने के लिए कहा जा रहा है। एआई तकनीक को लेकर प्रतिस्पर्धा में पिछड़ने और धीमी पुनर्गठन प्रक्रिया के कारण यह स्थिति पैदा हुई है। कर्मचारी संगठन NITES ने इस छंटनी के खिलाफ श्रम मंत्रालय को शिकायत भी भेजी है।