आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ( सौजन्य : सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : बुधवार को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव एस कृष्णन ने ग्लोबल इंडिया एआई शिखर सम्मेलन में एआई के विषय में बड़ी बात कही है। उन्होंने बताया है कि एआई एक उन्नत टेक्नोलॉजी है लेकिन इसके दुष्परिणाम भी कई है। एआई के बढ़ते प्रभाव और इसके दुष्प्रभावों को लेकर लोगों में भय भी है, लेकिन भारत में इतनी क्षमता है कि हम अवसर में परिवर्तित करने में सक्षम है।
ग्लोबल इंडिया एआई शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन में कृष्णन ने कहा कि दुनिया के पश्चिमी हिस्से में कृत्रिम मेधा (एआई) के खतरे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। कृष्णन ने कहा कि भारत में आशा, अपेक्षा और संभावनाएं हैं। भारत में एआई कार्य और अनुप्रयोग कार्य अन्य स्थानों की तुलना में कहीं अधिक किफायती ढंग से किया जा सकता है।
कृष्णन ने कहा, “यह संभवतः भारतीय युवाओं के लिए एक अवसर है और कुछ हद तक भारतीय नौकरियों को आज की तुलना में अधिक वेतन वाली और बेहतर नौकरियों से प्रतिस्थापित करता है।”उन्होंने कहा कि भारत के लिए यह एक समझौता हो सकता है, हालांकि दुनिया के अन्य हिस्सों के लिए यह वास्तविक चिंता का विषय हो सकता है।
एआई के सामाजिक और व्यक्तिगत नुकसानों, जैसे डीपफेक वीडियो, गलत सूचना, भ्रामक सूचना, निजता का हनन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ये वास्तविक भय हैं जिनके साथ दुनिया को जीना होगा।
कृष्णन ने कहा, “ये भय अन्य देशों की तुलना में लोकतंत्रों में कहीं अधिक वास्तविक हैं… यहीं पर सुरक्षा-व्यवस्था, किसी न किसी रूप में विनियमन, घोषणाएं महत्वपूर्ण हो जाती हैं।” उन्होंने कहा कि जब आपके पास बहुत सारी गलत सूचना या फर्जी जानकारी होती है, तो सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपके पास एक ऐसा तंत्र होना चाहिए जिसके द्वारा आप वास्तव में सही जानकारी की पहचान कर सकें। सचिव ने कहा कि इससे लोकतांत्रिक अधिकार भी प्रभावित हो सकते हैं।
गौरतलब है कि एआई को लेकर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी अपने विचार व्यक्त किए थे। उन्होंने भी एआई के खतरे से सतर्क रहने की जानकारी दी थी और उन्होंने कहा था कि दुनिया के सभी देशों और समाज को एआई से होने वाले खतरों का सावधानी पूर्वक सामना करना होगा। इस समस्या से लड़ने के लिए केवल ग्लोबल एफर्ट ही काम आ सकती है।
( एजेंसी इनपुट के साथ )