OpenAI Sore App आया Android में। (सौ. Sora)
Sora Android: OpenAI का लोकप्रिय Sora ऐप अब आखिरकार Android यूजर्स के लिए भी लॉन्च हो गया है। यह वही AI Video Generation App है जिसने iOS प्लेटफॉर्म पर लॉन्च होते ही धूम मचा दी थी। हालांकि फिलहाल यह ऐप केवल 7 देशों में उपलब्ध कराया गया है और भारत में इसकी लॉन्चिंग को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। इसके बावजूद, दुनियाभर के एंड्रॉयड यूजर्स इस ऐप के फीचर्स और वीडियो जनरेशन क्षमताओं को लेकर बेहद उत्साहित हैं।
OpenAI ने अपने आधिकारिक बयान में पुष्टि की है कि Sora ऐप अब Google Play Store पर उपलब्ध है। हालांकि, इसे फिलहाल अमेरिका, कनाडा, जापान, साउथ कोरिया, ताइवान, थाईलैंड और वियतनाम में लॉन्च किया गया है। भारत में इसके रोलआउट की कोई निश्चित टाइमलाइन सामने नहीं आई है। गौरतलब है कि भारत, OpenAI के लिए दूसरा सबसे बड़ा मार्केट है, लेकिन भारतीय यूजर्स को अभी इसके लिए थोड़ा और इंतजार करना पड़ सकता है।
Sora एक AI-पावर्ड शॉर्ट वीडियो जनरेशन ऐप है जो टेक्स्ट या इमेज इनपुट से 60 सेकेंड तक के क्रिएटिव वीडियो तैयार करता है। यह ऐप OpenAI के एडवांस्ड Sora 2 मॉडल पर आधारित है, जो वीडियो के साथ ऑटोमेटिक साउंडट्रैक भी जोड़ता है। Android वर्जन में वही सभी फीचर्स हैं जो iOS पर पहले से मौजूद थे, जिनमें AI Cameo जैसे इंटरैक्टिव फीचर्स भी शामिल हैं।
Sora सिर्फ वीडियो जनरेट करने तक सीमित नहीं है। यूजर्स इसमें अपनी या दोस्तों की तस्वीरों से Cameo जोड़ सकते हैं। इसके अलावा, पहले से बने वीडियो को रीमिक्स करने, खास स्टाइल्स, थीम्स और इफेक्ट्स जोड़ने की सुविधा भी दी गई है। जनरेटेड वीडियो को यूजर्स सीधे Instagram, TikTok, YouTube या अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर आसानी से शेयर कर सकते हैं।
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Sora ऐप के फ्री वर्जन में यूजर्स को बेसिक वीडियो जनरेशन फीचर्स दिए गए हैं। वहीं, ChatGPT Plus यूजर्स को तेज प्रोसेसिंग, लंबी और हाई-क्वालिटी वीडियो बनाने की सुविधा मिलती है। OpenAI का यह नया मॉडल अब क्रिएटर्स और इन्फ्लुएंसर्स के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।
लॉन्च के कुछ समय बाद से ही Sora ऐप विवादों में घिर गया था। कई यूजर्स ने इसका इस्तेमाल Deepfake वीडियो बनाने में किया, जिसमें कुछ ने Martin Luther King Jr. जैसी मशहूर हस्तियों के आपत्तिजनक वीडियो बनाए। इसके बाद OpenAI ने अपनी नीति में बदलाव करते हुए ‘opt-out’ की जगह ‘opt-in’ सिस्टम लागू किया ताकि कॉपीराइटेड कंटेंट के गलत इस्तेमाल को रोका जा सके।