Ablo में क्यों दिख रहा गलत मेप। (सौ. Design)
नवभारत टेक डेस्क: भारत सरकार ने गूगल को सख्त निर्देश दिए हैं कि वह चीनी वीडियो चैट ऐप Ablo को तत्काल प्रभाव से अपने प्ले स्टोर से हटा दे। इस फैसले की वजह थी – ऐप में भारत का गलत नक्शा दिखाया जाना। Ablo ने न केवल जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को गलत तरीके से दर्शाया, बल्कि लक्षद्वीप को पूरी तरह गायब कर दिया। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) और सर्वे ऑफ इंडिया (SoI) ने इस पर गहरी आपत्ति जताई और कहा कि इस तरह की लापरवाही देश की संप्रभुता और अखंडता के लिए गंभीर खतरा है।
भारत का गलत नक्शा दिखाना आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 1990 के तहत एक दंडनीय अपराध है। इसमें छह महीने तक की सजा या जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान है। साथ ही, आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 79(3)(b) के अनुसार, कोई भी डिजिटल प्लेटफॉर्म ऐसा कंटेंट दिखाने पर जिम्मेदार माना जाता है और उसे तुरंत हटाना होता है।
जब तक गूगल को सरकारी नोटिस भेजा गया, तब तक Ablo प्ले स्टोर पर उपलब्ध था। वहीं, एप्पल ने सतर्कता दिखाते हुए पहले ही इसे अपने ऐप स्टोर से हटा दिया था। इस ऐप को बेल्जियम की कंपनी MassiveMedia ने विकसित किया था, जिसे बाद में Match Group ने अधिग्रहित कर लिया – वही कंपनी जो Tinder और OkCupid जैसे प्रसिद्ध ऐप्स की मालिक है।
Ablo एक अंतरराष्ट्रीय वीडियो चैट ऐप था, जिसे दुनिया भर के अजनबियों को जोड़ने के लिए बनाया गया था। इसकी सबसे खास बात थी – इनबिल्ट ट्रांसलेशन फीचर, जिससे यूजर्स चैट और वॉयस कॉल में रीयल-टाइम ट्रांसलेशन कर सकते थे। यह ऐप युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय था और “पासपोर्ट टू द वर्ल्ड” टैगलाइन के साथ प्रचारित किया गया था।
हालांकि भारत में Ablo का इस्तेमाल सीमित था, लेकिन इसे अब तक 10,000 से ज्यादा बार डाउनलोड किया जा चुका था। इसका रंगीन इंटरफेस और ट्रैवल थीम यूजर्स को आकर्षित करता था, लेकिन भारत का गलत नक्शा दिखाना सरकार के लिए एक बड़ा और अस्वीकार्य मामला बन गया।
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यह पहला मौका नहीं है जब किसी ऐप को भारत की सीमाओं के गलत चित्रण पर कार्रवाई का सामना करना पड़ा हो। 2023 में World Map Quiz और MA 2 – President Simulator ऐप्स विवादों में आए थे। 2021 में Twitter और 2023 में WhatsApp को भी ऐसी ही गलती के लिए माफी मांगनी पड़ी थी। MAPS.Me ऐप को भी 2025 में इसी कारण हटाया गया।
भारत सरकार का यह कदम डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को एक सख्त संदेश है कि देश की अखंडता से कोई भी समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के Shreya Singhal बनाम भारत सरकार केस (2015) की गाइडलाइन भी प्लेटफॉर्म्स को सरकारी निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य करती है।