अरुणाचल प्रदेश का इलाका। इमेज-एआई।
Pentagon Latest Report on India China: चीन सैन्य और आर्थिक रूप से जितना ताकतवर हो रहा, वह दुनिया के लिए उतना ही खतरनाक हो रहा है। जमीन के लिए उसकी भूख बढ़ती जा रही है। वह पहले ताइवान को जबरन कब्जाने का लक्ष्य ठाने हुए था। उसके बाद उसने पूरे दक्षिण चीन सागर पर एकाधिकार ठोक दिया। अब उसने भारत के अरुणाचल प्रदेश और जापान के सेनकाकू आईलैंड को पाने के लिए अपने कोर इंट्रेस्ट में शामिल कर लिया है। यह खुलासा अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी गई पेंटागन की रिपोर्ट में हुआ है।
पेंटागन की रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन ने अब अपने दावे को विस्तार देते हुए भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश को दीर्घकालिक राष्ट्रीय रणनीति में रखा है। इसके तहत वह अब अरुणाचल को सैन्य ताकत के बल पर पाना चाहता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन ने 2049 तक चीनी राष्ट्र के महान पुनरुत्थान का लक्ष्य घोषित किया है। इस पुनरुत्थान के लिए उपरोक्त चारों स्थानों पर कब्जा करना चीन के केंद्रीय लक्ष्य में है। खासकर ताइवान के जबरलन विलय को चीनी अधिकारी राष्ट्रीय पुनरुत्थान के लिए प्राकृतिक आवश्यकता बता रहे हैं।
चीनी शासक मान रहे हैं कि एक शक्तिशाली चीन विश्वस्तरीय सेना का संचालन करेगा। यह सेना लड़ने और जंग जीतने में सक्षम होगी। इसी सेना के बूते वह दुनिया में पूरे अधिकार के साथ काम करेगा। विश्व में अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की दृढ़ता से रक्षा भी करेगा।
रिपोर्ट में भारत-चीन संबंधों का उल्लेख करते हुए बताया गया है कि दोनों देशों ने अक्तूबर 2024 में एलएसी पर गतिरोध वाली कई जगहों से डिस एंगेजमेंट की घोषणा की थी। उसके बाद दोनों देशों में सीधी उड़ानें, आम नागरिकों को वीजा जारी करने और सीमा प्रबंधन पर बात शुरू हुई है, लेकिन असल में यह चीन की चाल है। वह एलएसी पर तनाव कम होने का ढोंग कर अमेरिका-भारत संबंधों को गहराने से रोकना चाहता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की चालबाजियों के बावजूद भारत सतर्क है और दोनों देशों के बीच अविश्वास का माहौल अब भी मौजूद है, जो द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर बनाए रखेगा।
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पेंटागन की रिपोर्ट में चीन-पाक के बीच गहराते सैन्य और रणनीतिक सहयोग पर भी प्रकाश डाला गया है। बीजिंग पाक के साथ मिलकर जेएफ-17 लड़ाकू विमान का सह-निर्माण जारी रखे हुए है। चीन में बने जे-10 मल्टीरोल कॉम्बैट विमान की पाकिस्तान लगातार खरीदारी कर रहा है। ऐसा करने वाला दुनिया का एकमात्र खरीदार देश है।