Sim Card को बनाने के लिए करने होते है कई काम। (सौ. Freepik)
नवभारत टेक डेस्क: देश में साइबर फ्रॉड और धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने सिम कार्ड जारी करने के नियमों को और कड़ा कर दिया है। दूरसंचार विभाग (DoT) ने टेलीकॉम कंपनियों को डिजिटल इंटीग्रेटेड वेरिफिकेशन सिस्टम लागू करने का निर्देश दिया है, जिससे फर्जी दस्तावेजों के जरिए मोबाइल कनेक्शन लेने पर रोक लगाई जा सके।
अब नई सिम खरीदना पहले से ज्यादा कठिन हो गया है क्योंकि ग्राहकों को सिम जारी करने से पहले कई स्तरों पर जांच प्रक्रिया से गुजरना होगा। आइए जानते हैं कि इन नए नियमों के तहत क्या बदलाव हुए हैं और यह कैसे आपकी सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।
पहले नया सिम कार्ड लेने के लिए वोटर आईडी, आधार कार्ड या पासपोर्ट जैसे एड्रेस प्रूफ ही काफी होते थे, लेकिन अब बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन के बिना सिम जारी नहीं किया जाएगा।
नए नियमों के तहत:
साइबर अपराधी फर्जी सिम कार्ड का इस्तेमाल कर बैंकिंग फ्रॉड, ऑनलाइन ठगी और अन्य आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देते हैं। यही वजह है कि
सरकार ने इस पर सख्ती बरतते हुए टेलीकॉम कंपनियों को नए और कड़े नियमों का पालन करने का निर्देश दिया है।
टेक्नोलॉजी की अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां पर क्लिक करें
हो सकता है कि ये नए नियम लोगों को थोड़े कठिन लगें, लेकिन यह उनकी सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी कदम है। सरकार की यह सख्ती साइबर फ्रॉड को रोकने और आम जनता को सुरक्षित रखने के लिए उठाई गई है।
क्या आपको लगता है कि यह नियम साइबर अपराधों पर लगाम कसने में मदद करेंगे? अपनी राय हमें कमेंट में जरूर बताएं।