AI से कैसे होगा खतरा। (सौ. Freepik)
Generative AI threats: जनरेटिव AI के तेजी से विकास ने जहां कई क्षेत्रों में क्रांतिकारी फायदे दिए हैं, वहीं साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में नई और अधिक खतरनाक चुनौतियाँ भी खड़ी कर दी हैं। “साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स का कहना है कि AI के जरिए साइबर खतरों की बाढ़-सी आ गई है” अब हैकर्स भी AI टूल्स का इस्तेमाल कर बेहद परिष्कृत और स्वचालित हमले कर रहे हैं, जिनसे यूजर्स का संवेदनशील डेटा एक क्लिक से चोरी हो सकता है और उन्हें इसकी भनक भी नहीं लगेगी।
कंपनियाँ और डेवलपर AI टूल्स को तेजी से अपनाकर कोडिंग और प्रोडक्ट डेवलपमेंट में लगा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस रफ़्तार में सुरक्षा जाँच और त्रुटि सुधार पीछे छूट रहे हैं। कई अध्ययन दिखाते हैं कि AI-सहायता से लिखे गए कोड में भी सुरक्षात्मक कमियाँ रह सकती हैं, जिससे जोखिम सीधे यूजर्स तक पहुँचते हैं। विशेष रूप से ईमेल या कैलेंडर लिंक पर एक साधारण क्लिक से फिशिंग, मालवेयर इन्स्टॉलेशन या डेटा एक्सफिल्ट्रेशन हो सकता है।
अगस्त में AI की मदद से किये गए एक सप्लाई-चेन अटैक ने दुनिया का ध्यान खींचा था। हैकर्स ने Nx जैसे कोड रिपॉजिटरी प्लेटफॉर्म पर असली दिखने वाला प्रोग्राम प्रकाशित किया जिसे हजारों यूजर्स ने डाउनलोड कर लिया। बाद में इस मालवेयर ने पासवर्ड, क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट और अन्य संवेदनशील डेटा चुराने का प्रयास किया। इसी तरह, अमेरिकी कंपनी एंथ्रोपिक ने ऐसे रैंसमवेयर कैंपेन का खुलासा किया जो पूरी तरह AI ड्रिवन था: AI सिस्टम पहले कमजोरियाँ ढूँढता, फिर उन पर हमला करके रैंसम की मांग कर रहा था।
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विशेषज्ञ सुझाव दे रहे हैं कि AI आधारित डेवलपमेंट में सुरक्षा को प्रारंभिक चरण से ही इंटीग्रेट किया जाए यानी “शिफ्ट-लेफ्ट” सुरक्षा अप्रोच अपनाई जाए। ऑडिट, थ्रेट मॉडलिंग, और नियमित पेनेट्रेशन टेस्ट के साथ-साथ थर्ड-पार्टी कोड की कड़ाई से जाँच ज़रूरी है। यूजर्स को भी सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है: अनजान लिंक पर क्लिक न करें, मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन ऑन रखें और नियमित बैकअप करें।
जनरेटिव AI ने टेक्नोलॉजी की सीमाएँ पीछे धकेली हैं, परंतु उसी के साथ साइबर खतरे भी अधिक स्वचालित और खतरनाक बने हैं। इस समय जरूरत है तेज़ विकास के साथ-साथ मजबूत सुरक्षा मानकों और नियमित निगरानी की वरना आने वाले समय में हम ज्यादा जटिल और तीव्र AI ड्रिवन साइबर अक्षमता का सामना कर सकते हैं।