Apple की बढ़ी मुश्किलें। (सौ. Design)
Apple Penalty: Apple के लिए भारत में हालात चुनौतीपूर्ण होते जा रहे हैं। वजह है एंटी-कम्पटीशन कानून में किया गया बड़ा बदलाव, जिसके बाद कंपनी पर 38 अरब डॉलर (लगभग 3.20 लाख करोड़ रुपये) तक की भारी-भरकम पेनल्टी का खतरा मंडरा रहा है। इसी नियम का विरोध करते हुए Apple अब दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच चुकी है। हालांकि अभी तक कंपनी पर कोई निश्चित जुर्माना नहीं लगाया गया है, लेकिन नया कानून Apple के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो रहा है।
यह विवाद Apple के App Store की नीतियों को लेकर शुरू हुआ। भारतीय डेवलपर्स ने शिकायत की थी कि iPhone यूज़र्स केवल Apple के App Store के माध्यम से ही ऐप्स डाउनलोड कर सकते हैं।
डेवलपर्स का आरोप था कि यह व्यवस्था उनके लिए नुकसानदेह है और बाजार में Apple की अनुचित पकड़ को दर्शाती है। इन्हीं शिकायतों पर CCI ने जांच शुरू की, जिसने केस को पेनल्टी के दायरे में ला दिया।
जब जांच शुरू हुई थी, जुर्माना केवल भारत में होने वाली कमाई पर लगना था। यह रकम काफी छोटी होती। लेकिन 2023 में Competition Act में बदलाव होते ही स्थितियां पूरी तरह बदल गईं। अब CCI के पास अधिकार है कि वह किसी भी कंपनी की ग्लोबल टर्नओवर पर 10 प्रतिशत तक की पेनल्टी लगा सकती है। और यहीं से खतरा कई गुना बढ़ गया
इस बदलाव ने पूरे केस को नया मोड़ दे दिया।
Apple ने कोर्ट में दलील दी है कि “अगर जांच App Store India की नीतियों पर है, तो पेनल्टी भी उसी की कमाई पर लगनी चाहिए।” कंपनी का कहना है कि नया नियम उसके खिलाफ “अनुचित दंड” जैसा है। Apple ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले का हवाला देते हुए कहा कि पेनल्टी Relevant Turnover पर ही लगनी चाहिए। इसी तर्क के आधार पर Apple ने नए प्रावधान को चुनौती दी है।
CCI का मानना है कि बड़ी टेक कंपनियों पर स्थानीय राजस्व के आधार पर जुर्माना लगाने से कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इसलिए वैश्विक पैमाने पर पेनल्टी लगाने की शक्ति जरूरी है। इससे कंपनियां भारतीय कानूनों को गंभीरता से लेंगी। सरकार का तर्क है कि यदि कंपनियां पूरी दुनिया में कारोबार करती हैं, तो कानून का प्रभाव भी उसी स्तर पर होना चाहिए।
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यह लड़ाई सिर्फ Apple तक सीमित नहीं है। अगर कोर्ट ने Apple की याचिका स्वीकार कर ली:
यानी इस केस का फैसला भारत के डिजिटल बाजार के भविष्य को तय कर सकता है।