Sitaa ऐप में क्या है खास। (सौ. AI)
UIDAI SITAA Aadhaar App: भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने देश की डिजिटल पहचान प्रणाली को और अधिक सुरक्षित, तेज़ और विश्वसनीय बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। संस्था ने SITAA (Scheme for Innovation and Technology Association with Aadhaar) नामक अभिनव कार्यक्रम की शुरुआत की है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य तकनीकी नवाचारों के माध्यम से आधार इकोसिस्टम को मज़बूत करना और नई पीढ़ी की सुरक्षा तकनीकों को बढ़ावा देना है।
SITAA के तहत UIDAI ऐसे अत्याधुनिक AI-आधारित समाधान विकसित कराएगा जो रियल-टाइम डीपफेक पहचान, फेस लाइवनेस डिटेक्शन, और कॉन्टैक्टलेस फिंगरप्रिंट ऑथेंटिकेशन जैसी आधुनिक तकनीकों पर आधारित होंगे। UIDAI ने इसके लिए देशभर के स्टार्टअप्स, शैक्षणिक संस्थानों और उद्योग जगत से इनोवेशन प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं। इन प्रस्तावों की अंतिम तिथि 15 नवंबर 2025 तय की गई है। UIDAI का कहना है कि यह पहल आधार की तकनीकी विश्वसनीयता को और सशक्त बनाएगी तथा नागरिकों की डिजिटल पहचान को संभावित साइबर खतरों से सुरक्षित रखेगी।
SITAA प्रोग्राम को सफल बनाने के लिए UIDAI ने MeitY Startup Hub (MSH) और NASSCOM के साथ समझौता किया है।
UIDAI के अनुसार, “SITAA भारत की सुरक्षित, आत्मनिर्भर और समावेशी डिजिटल पहचान प्रणाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
Face Liveness Detection:
स्टार्टअप्स को ऐसे सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट किट (SDK) तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है जो डीपफेक, मास्क या फोटो स्पूफिंग जैसी धोखाधड़ी को तुरंत पहचान सकें। यह सिस्टम विभिन्न डिवाइस और वातावरण में समान रूप से प्रभावी होना चाहिए।
Presentation Attack Detection:
शोध संस्थानों को ऐसे AI और मशीन लर्निंग-आधारित सिस्टम विकसित करने होंगे जो प्रिंट, रीप्ले या मॉर्फिंग जैसे बायोमेट्रिक हमलों की पहचान कर सकें। इन समाधानों को Aadhaar APIs के साथ पूरी तरह संगत होना आवश्यक है।
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Contactless Fingerprint Authentication:
UIDAI ऐसे समाधान चाहता है जिनसे स्मार्टफोन कैमरा या कम लागत वाले सेंसर की मदद से बिना छुए फिंगरप्रिंट की पहचान की जा सके। यह तकनीक लाइवनेस डिटेक्शन और AFIS मानकों का पालन करेगी।
SITAA प्रोग्राम UIDAI की उस दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत आधार प्रणाली को डीपफेक्स, बायोमेट्रिक फ्रॉड और डेटा मैनिपुलेशन जैसी चुनौतियों से सुरक्षित बनाया जाएगा। यह पहल न सिर्फ डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करेगी बल्कि आत्मनिर्भर भारत के विज़न को भी साकार करेगी, जिससे भारत डिजिटल पहचान तकनीक के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की दिशा में आगे बढ़ेगा।