भारत में Internet सेवा का क्या है नजरिया। (सौ. AI)
Women Empowerment, GSMA: तेज़ी से बढ़ते इंटरनेट और मोबाइल कनेक्टिविटी के युग में भी भारत की बड़ी आबादी अब तक डिजिटल दुनिया से जुड़ नहीं पाई है। ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशंस एसोसिएशन (GSMA) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, देश के लगभग 47% लोग अभी भी इंटरनेट का उपयोग नहीं करते हैं। यह आंकड़ा बताता है कि डिजिटल इंडिया की रफ्तार के बावजूद कनेक्टिविटी की असमानता अब भी बनी हुई है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि मोबाइल इंटरनेट के इस्तेमाल में महिलाएं पुरुषों से 33% पीछे हैं। तकनीकी ज्ञान की कमी और मोबाइल हैंडसेट की ऊंची कीमतें इसके मुख्य कारण बताए गए हैं। इसका सीधा असर ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों की महिलाओं पर पड़ रहा है, जहां स्मार्टफोन की उपलब्धता सीमित है। GSMA के अनुसार, अप्रैल से जून 2025 के बीच भारत में इंटरनेट सब्सक्राइबर्स की संख्या 100.28 करोड़ तक पहुंच चुकी है। इसके बावजूद देश की करीब आधी आबादी अभी भी ऑनलाइन नहीं है, जिससे डिजिटल समावेश का लक्ष्य अधूरा दिखाई देता है।
GSMA एशिया प्रशांत प्रमुख जूलियन गोर्मन ने कहा, “भारत डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और मोबाइल क्रियान्वयन में अग्रणी है।” उन्होंने यह भी माना कि देश में कनेक्टिविटी की पहुंच बढ़ाने के लिए अभी भी कई चुनौतियां मौजूद हैं। मोबाइल डिवाइस की ऊंची कीमतें, नेटवर्क गुणवत्ता में असमानता और डिजिटल साक्षरता की कमी जैसी बाधाएं ग्रामीण भारत को पीछे धकेल रही हैं। सरकार और निजी क्षेत्र को मिलकर इन अंतरालों को दूर करने की ज़रूरत है ताकि हर नागरिक डिजिटल भारत का हिस्सा बन सके।
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भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था ने पिछले एक दशक में शानदार उछाल दर्ज की है। जहां 2013 में इसका आकार 108 अरब डॉलर था, वहीं 2023 तक यह बढ़कर 370 अरब डॉलर पहुंच गया। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2030 तक भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था 1,000 अरब डॉलर से अधिक हो जाएगी। हालांकि, अनुसंधान एवं विकास (R&D) में निवेश की कमी, निजी क्षेत्र में नवाचार की धीमी गति और कुशल पेशेवरों का पलायन देश की डिजिटल प्रगति को प्रभावित कर सकता है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि ‘टैलेंट ड्रेन’ को रोकने के लिए भारत को तुरंत ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि इस विकास का लाभांश देश के भीतर ही रह सके।