मनोज तिवारी और गौतम गंभीर (फोटो-सोशल मीडिया)
स्पोर्ट्स डेस्क: भारतीय टीम के पूर्व बल्लेबाज मनोज तिवारी ने बॉर्डर-गावस्कर सीरीज में मिली हार के बाद भारतीय टीम के मुख्य कोच पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने गंभीर को लेकर कहा कि वो आईपीएल में फ्रेंचाइजी को सलाह देने में माहिर हो सकते हैं लेकिन भारतीय टीम के कोच बनने के लिए सही विकल्प नहीं है। ऑस्ट्रेलिया में भारतीय टीम को 3-1 से हार मिली। इसके साथ बॉर्डर-गावस्कर सीरीज 10 सालों के बाद गंवा दिया।
गंभीर के कोच बनने के बाद भारतीय टीम को 27 वर्षों में पहली बार श्रीलंका में वनडे सीरीज हार का सामना करना पड़ा। टीम को इसके बाद घरेलू मैदान पर न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में 0-3 की हार का सामना करना पड़ा। भारतीय टीम अपनी सरजमी पर पहली बार तीन मैचों की सीरीज में 0-3 से हारी थी। टीम ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक दशक में पहली बार बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी गंवा दी।
तिवारी का आईपीएल खेलने के दिनों में 2013 में गंभीर के साथ ड्रेसिंग रूम में तकरार हुआ था। तब दोनों कोलकाता नाइट राइडर्स की टीम में शामिल थे। उन्होंने कोच के रूप में गंभीर की असफलता का हवाला देते हुए मीडिया एजेंसी में कहा कि देखिए, परिणाम आपके सामने है। परिणाम झूठ नहीं बोलते। आंकड़े गलत नहीं होते। रिकॉर्ड खुद बोलता है। गंभीर के कोचिंग के तरीके पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह राहुल द्रविड़ के अच्छे कामों को आगे नहीं बढ़ा पाए।
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उन्होंने कहा कि गंभीर को चीजों को सही करने या जीत की राह पर आने में बहुत समय लगेगा। उन्हें भारत जैसी टीम के खिलाड़ियों को कोचिंग देने का कोई अनुभव नहीं है। मैं ईमानदारी से कहूं तो मुझे नहीं लगता कि उनके पास टेस्ट या एकदिवसीय क्रिकेट में कोचिंग देने का कोई अनुभव है। तिवारी का मानना है कि वीवीएस लक्ष्मण और साईराज बहुतुले जैसे पूर्व खिलाड़ियों को कोचिंग में पर्याप्त अनुभव है और वे भारतीय टीम के कोच के लिए आदर्श विकल्प होते।
तिवारी ने कहा कि जब कोई ऐसा व्यक्ति आता है जिसके पास कोई अनुभव नहीं है और वह काम करता है तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह कितना आक्रामक है। ऐसे में यह परिणाम आना तय है। सिर्फ आईपीएल का परिणाम देखकर उन्हें मुख्य कोच नियुक्त करने का निर्णय गलत था। मेरी समझ से यह सही विकल्प नहीं था। उन्होंने केकेआर के आईपीएल चैम्पियन बनने का पूरा श्रेय गंभीर को दिये जाने की आलोचना करते हुए कहा कि टीम की सफलता में मुख्य कोच चंद्रकांत पंडित और खिलाड़ियों का भी अहम योगदान था। (भाषा इनपुट के साथ)