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अपने वोट के लिए महिलाएं हुईं जागरूक

  • By navabharat
Updated On: Dec 01, 2021 | 12:37 PM
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इस देश की आधी आबादी शनै: शनै: अपने अधिकारों के प्रति न केवल जागृत हो रही है, बल्कि उन्हें उपयोग में लाने के प्रति भी सजग होने लगी है. ऐसा ही एक प्रमुख संविधानप्रदत्त अधिकार है वोट देकर अपने मनपसंद जनप्रतिनिधि चुनने का. भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा के हवाले से कहा गया है कि देश में सन 1971 के बाद से महिला मतदाताओं में 235.72% की बढ़ोतरी हुई है. 2019 के आम चुनावों में 67% महिलाओं ने मताधिकार का प्रयोग किया. इस तरह वे पुरुषों से आगे निकल चुकी हैं. स्वतंत्रता प्राप्ति के कुछ अर्से बाद यानी सन 1962 के चुनावों में लैंगिक अंतर शून्य से 16.71 प्रतिशत नीचे था. जबकि 2019 में यह 0.17 % अधिक देखा गया है. 

भारत जल्द हुआ जागृत 

अमेरिका जैसे उन्नत देश को वोट देने के समान अधिकार को बहाल करने में 144 वर्ष लग गए, जबकि भारत इस मामले में काफी जागरूक रहा और आजादी के साथ ही देश की महिलाओं को वोट देने का अधिकार हासिल हो गया. इसके पूर्व आजादी की लड़ाई के साथ ही देश की महिलाओं ने वोट के हक को पाने के लिए सक्रियता से अभियान चलाया. आजादी की लड़ाई में महिलाओं ने पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हिस्सा लिया. वहीं कई देशों में इस अधिकार को पाने के लिए महिलाओं ने कठिन संघर्ष किया और वह भी एक बार में नहीं, टुकड़ों में इसे हासिल कर पाने में कामयाब हुईं. भारत की बात करें तो यहां वैसे भी ये राहें इतनी भी सरल नहीं थीं. निर्वाचन आयोग ने इस दिशा में काफी प्रयास किए व जनजागृति के कार्यक्रम चलाए गए. दिव्यांगों, वरिष्ठ नागरिकों और ट्रांसजेंडरों के साथ ही महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए मुहिम चलाई गई.

नाम नहीं बताना चाहती थीं

बकौल चुनाव आयुक्त, वास्तविक धरातल पर महिलाओं को मतदान का अधिकार देते समय चुनौती तब पेश आई, जब बड़ी संख्या में महिलाओं ने अपना नाम बताने से इनकार कर दिया और किसी की मां या पत्नी के रूप में मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराने की ख्वाहिश जताई. इस पर चुनाव आयोग निर्देश जारी करने पर मजबूर हुआ कि किसी का नाम उसकी पहचान का एक अनिवार्य हिस्सा है और महिला मतदाताओं को अपने नाम का पंजीकरण कराना चाहिए. सार्वजनिक अपीलें की गईं और महिला मतदाताओं को पंजीकरण कराने में सक्षम बनाने के लिए अभियान को एक महीने का विस्तार दिया गया.

घर के दरवाजे पर मतदान की पहल 

चुनाव आयोग ने 80 वर्ष से अधिक की उम्र के बुजुर्गों व कोविड प्रभावित मतदाताओं के लिए उनके घर के दरवाजे पर ही मतदान सुविधा सुनिश्चित करने के लिए 2020 में पहल शुरू की. पिछले 5 राज्य विधानसभा चुनावों में 4.5 गुना अधिक वोटरों ने डाक मतपत्रों के माध्यम से चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा लिया. वर्तमान समय में देश में लगभग 1.5 करोड़ मतदाता 80 वर्ष से ऊपर के हैं. इससे कहा जा सकता है कि भारत का एक अहम हिस्सा अब देश के मुख्य प्रवाह से वास्तविक रूप से जुड़ गया है जो कि लोकतंत्र के लिए काफी सकारात्मक चिन्ह है. 

Women became aware of their vote

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Published On: Dec 01, 2021 | 12:37 PM

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