(डिजाइन फोटो)
अंडरग्रेजुएट डिग्री के लिए जब श्यामला ने दिल्ली में होम साइंस विषय का चयन किया था। तो सबने उनका मजाक बनाया था- होम साइंस की डिग्री लेकर कोई क्या करता है? लेकिन श्यामला ने सबको गलत साबित किया, उन्होंने इसी डिग्री के बल पर यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले के लिए स्कॉलरशिप हासिल की और मात्र 19 वर्ष की आयु में अकेली अमेरिका पहुंचीं ताकि बायोकेमिस्ट्री व एंड्रोक्रिनोलोजी का अध्ययन कर सकें। वह अमेरिका के नागरिक अधिकार आंदोलन में उस समय शामिल हुई, जब भारतीय प्रवासी ऐसी बातों से दूर भागते थे। श्यामला की यह संवेदनशीलता और दृढ़संकल्प उनकी दोनों बेटियों कमला व माया में भी आयी है।
अब कमला हैरिस अमेरिका की राष्ट्रपति बनने की कगार पर हैं; क्योंकि डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति जो वाइडेन ने खुद को आगामी राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ से अलग कर लिया है और अपनी जगह कमला हैरिस के नाम का प्रस्ताव रखा है। हैरिस ने कहा है कि वह अपनी डेमोक्रेटिक पार्टी का नामांकन ‘हासिल करने व जीतने’ का इरादा रखती हैं। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और कुछ दूसरे डेमोक्रेट्स ने उम्मीद के विपरीत कमला की दावेदारी का विरोध किया है। ऐसे में सवाल है कि क्या कमला हैरिस अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति बनने में सफल हो जायेंगी? अमेरिका के अब तक के 46 राष्ट्रपतियों में से कोई भी महिला नहीं है। हिलेरी क्लिंटन ने 2016 में राष्ट्रपति बनने के लिए कड़ा संघर्ष अवश्य किया था, लेकिन वह डोनाल्ड ट्रम्प से हार गई थीं।
अमेरिका की राजनीति में भारतीय अमेरिकन मजबूत सियासी फ़ोर्स हैं, जिसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जैसे ही ट्रम्प ने जेडी वेंस को अपना उप- राष्ट्रपति पद के लिए रनिंग मेट घोषित किया तो उषा वेंस की प्रोफाइल में जबरदस्त वृद्धि हो गई, उषा जेडी वेंस की पत्नी हैं। उनका संबंध भारत के आंध्रप्रदेश से है यानी वह भारतीय मूल की हैं और हिंदू धर्म का पालन करती हैं। इसलिए अमेरिका में भारतीय मूल के अधिकांश मतदाता उत्साहित हो गए थे कि उनकी अपनी अमेरिका की सेकंड लेडी होंगी। लेकिन अब जब कमला हैरिस के राष्ट्रपति बनने की संभावना है, तो भारतीय मूल के अमेरिकी असमंजस में पड़ गए हैं कि वे संभावित सेकंड लेडी उषा का समर्थन करें या संभावित राष्ट्रपति कमला का।
जाहिर है कि हर भारतीय व्हाइट हाउस में कमला को ही देखना चाहेगा। इसलिए अनुमान यह है कि बदली परिस्थिति में भारतीय मूल के अधिकांश अमेरिकी मतदाताओं का झुकाव कमला की डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर होगा। कमला कोई जीनियस नहीं हैं, लेकिन इरादों की पुख्तगी व मानवीय मूल्य उन्होंने विरासत में अपनी मां से पाए हैं। इसलिए वह परम्परागत उप राष्ट्रपति की बजाय अति सक्रिय उप-राष्ट्रपति रहीं। लेकिन सवाल यह है कि क्या वह लोटस से पोटस बन सकेंगी यानी उप-राष्ट्रपति से राष्ट्रपति बन सकेंगी? गौरतलब है कि लोटस कमल को कहते हैं और ‘पोट- अस’ अमेरिका के राष्ट्रपति के लिए संक्षिप्तीकरण है।
अमेरिका के 14 उप-राष्ट्रपति बाद में राष्ट्रपति बने, जिनमें से 7 तो पिछली शताब्दी में ही बने, लेकिन पिछले तीन दशक में कोई यह कारनामा नहीं कर सका है। जॉर्ज एचडब्लू बुश (उप-राष्ट्रपति 1981-89 व राष्ट्रपति 1989-93) के बाद से कोई उप-राष्ट्रपति राष्ट्रपति नहीं बन सका है। जिस तेजी से कमला को डेमोक्रेटिक पार्टी में समर्थन मिल रहा है उससे यह अनुमान प्रबल होता जा रहा है कि वह ही राष्ट्रपति प्रत्याशी होंगीं। शायद यही कारण है कि ट्रम्प व अन्य दक्षिणपंथियों ने कमला का विरोध आरंभ कर दिया है।
कमला की उम्मीदवारी को लेकर अब दक्षिणपंथियों ने ‘जन्म’ विवाद को हवा देनी शुरू कर दी है कि अपने ‘विदेशी’ पैरेंट्स के कारण क्या वह उच्च पद हासिल करने के योग्य हैं? कमला ओकलैंड, कैलिफोर्निया में 1964 में पैदा हुई थीं: बहस यह है कि वह राष्ट्रपति पद के योग्य नहीं हैं क्योंकि वह ‘नेचुरल बोर्न सिटीजन’ नहीं हैं बल्कि ‘एंकर’ हैं यानी विदेशी पैरेंट्स के घर जन्मा बच्चा। अमेरिकी संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति बनने के लिए व्यक्ति की न्यूनतम आयु 35 वर्ष होनी चाहिए, वह कम से कम 14 वर्ष से अमेरिका में रह रहा हो और जन्म से अमेरिका का नागरिक हो। कमला इस पैमाने पर खरी उतरती हैं और अगर ट्रम्प को हराती हैं तो पहली महिला राष्ट्रपति बनेंगी। लेख डॉ. अनिता राठौर द्वारा