आज का निशानेबाज (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे बार-बार दिल्ली क्यों चले जाते हैं? इस बार भी वह कैबिनेट की अहम बैठक छोड़ दिल्ली चले गए? क्या वह महायुति में अपनी कम हो रही पकड़ से दुखी हैं अथवा उन्हें लगता है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम अजीत पवार को उनसे ज्यादा महत्व दे रहे हैं? शिंदे के नगर विकास विभाग के किसी भी प्रोजेक्ट की फाइल मुख्यमंत्री के पास जाएगी। सीएम की अनुमति के बाद ही विधायकों को फंड वितरित किए जाएंगे।’ हमने कहा, ‘शिंदे की परेशानी के मुद्दे और भी हो सकते हैं।
ऐसा माना जा रहा है कि महाराष्ट्र में सितंबर माह में बड़ा राजनीतिक उलटफेर हो सकता है जब सुप्रीम कोर्ट शिवसेना के नाम और चुनाव चिन्ह मामले का फैसला करेगा। इसके साथ ही उद्धव ठाकरे का साथ छोड़कर शिंदे की पार्टी में शामिल होनेवाले विधायकों की अयोग्यता के मुद्दे पर भी निर्णय लेगा। इस संबंध में तेलंगाना विधायकों का मामला संकेत सूचक बन सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना विधानसभा के अध्यक्ष को निर्देश दिया कि भारत राष्ट्र समिति के पार्टी छोड़कर सत्तारूढ़ कांग्रेस में शामिल हो जाने वाले 10 विधायकों को अयोग्य घोषित करने संबंधी याचिकाओं पर 3 माह के भीतर फैसला करें। उसे लटकाए न रखें।’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, महाराष्ट्र में भी मामला लंबे समय से अटका हुआ है। 2022 में उद्धव ठाकरे से बगावत कर शिवसेना का एक हिस्सा एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में टूटकर अलग हुआ। इस वजह से महाविकास आघाड़ी सरकार गिर गई थी और बीजेपी ने अपने इस ऑपरेशन लोटस के बाद शिंदे सेना को साथ देकर महायुति सरकार बनाई थी। यदि तेलंगाना के विधानसभा स्पीकर को दिया गया निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के मामले में भी दोहराया तो शिंदे के लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि या तो हम संविधान की 10वीं अनुसूची का गंभीरता से पालन करें और यदि नहीं पालन करना है तो उस पर पुनर्विचार करें।
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सुप्रीम कोर्ट यह मामला बड़ी बेंच को भी भेज सकता है। सोचिए कि यदि शिंदे के विधायक अयोग्य करार दिए गए तो क्या होगा?’ हमने कहा, ‘राजनीति में अनिश्चितता बनी रहती है। जब तक तकदीर साथ दे नेता मुकद्दर का सिकंदर बना रहता है। बाद में क्या होगा कोई कह नहीं सकता।’’
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा