जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा कब (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: जम्मू-कश्मीर को फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग जोर पकड़ रही है। गत माह वहां के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्र से पुरजोर आग्रह किया कि जनता से किया वादा पूरा कर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाए। यह लोगों का अधिकार है। 6 वर्ष पूर्व केंद्र सरकार ने अभूतपूर्व कदम उठाते हुए अनुच्छेद 370 समाप्त कर जम्मू-कश्मीर को 2 केंद्र शासित प्रदेशों जे एंड के तथा लद्दाख में बांट दिया था। 6 अगस्त 2019 को संसद में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम पारित किया गया था। इसके बाद केंद्र ने वहां उपराज्यपाल के हाथों शासन की बागडोर सौंपी और केंद्रीय गृहमंत्री के अधीन वहां की नौकरशाही को लाया गया।
केंद्र के हाथों में पुलिस व नागरी प्रशासन रखा गया। समवर्ती सूची के विषय भी केंद्र ने अपने नियंत्रण में ले लिए। इस अधिनियम में एलजी की अनुमति बिना विधानसभा को कोई वित्तीय या कराधान संबंधी विधेयक पेश करने का अधिकार नहीं था। यदि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल किया जाता है तो वहां की निर्वाचित सरकार को व्यापक अधिकार मिल जाएंगे और एलजी के अधिकार घट जाएंगे। फिलहाल पुनर्गठन कानून के अनुच्छेद 53 के अनुसार हर प्रशासकीय व विधायी निर्णय पर अंतिम फैसला उपराज्यपाल का रहता है। इसे किसी प्रकार की चुनौती नहीं दी जा सकती। जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का निर्णय अभूतपूर्व था। ऐसी कोई मिसाल नहीं थी। जहां तक केंद्र शासित प्रदेशों को राज्य का दर्जा देने की बात है, इसकी मिसाल मौजूद है। संसद कानून बनाकर ऐसा कर सकती है।
हिमाचल प्रदेश को 1971 में, मणिपुर और त्रिपुरा को 1972 में, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम को 1987 में पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। इसके अलावा केंद्र शासित प्रदेश गोवा, दमन व दीव में से 1987 में गोवा को अलग किया गया। जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए राज्य पुनर्गठन अधिनियम में संशोधन करना होगा। साथ ही संसद में नया विधेयक लाकर उसे लोकसभा और राज्यसभा में पारित कर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर लेने होंगे। संविधान का अनुच्छेद 3 केंद्र को अधिकार देता है कि वह किसी अन्य राज्य या केंद्र शासित प्रदेश से अलग कर नया राज्य बनाए। इस तरह के विधेयक को केवल राष्ट्रपति की सिफारिश से पेश किया जा सकता है।
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चूंकि राष्ट्रपति मंत्रिमंडल की सलाह से काम करते हैं इसलिए प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिमंडल की राय उन्हें माननी होगी। अब यह केंद्र सरकार पर निर्भर है कि वह कब जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की दिशा में कदम उठाती है। ऐसा नहीं लगता कि पहलगाम आतंकी हमले को देखते हुए केंद्र इस बारे में कोई जल्दबाजी करना चाहेगा।
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा