वामपंथी अतिवादियों का सफाया (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: छत्तीसगढ़ में दिसंबर 2023 में विष्णुदेव साय की सरकार आने के बाद से बस्तर, नारायणपुर, दंतेवाडा और बीजापुर में सक्रिय नक्सलवादियों के खिलाफ निश्चयात्मक संगठित अभियान शुरू किया गया।गत वर्ष 219 नक्सली मारे गए थे।इस वर्ष भी नक्सली उन्मूलन में तेजी लाई गई और एक बड़े साहसिक अभियान के तहत वरिष्ठ नक्सली कमांडर व सीपीआई (माओवादी) के महासचिव नंबाला केशवराय उर्फ बसव राजू सहित 27 नक्सलियों को मौत के घाट उतारा गया।बसव राजू 26 हत्याओं में वांछित था तथा उस पर 1.5 करोड़ रुपए का इनाम था।इस दुर्दांत नक्सली का 15 वर्षों में हुए भीषण खूनखराबे में हाथ था।
6 अप्रैल 2010 को सीआरपीएफ के काफिले पर दंतेवाडा के चिंतलनार में घात लगाकर 76 जवानों की हत्या की गई थी।इसके बाद 25 मई 2013 को जीरम घाटी में विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा तथा अन्य कांग्रेसी नेताओं को निशाना बनाया गया था।इन दोनों जघन्य हमलों को अंजाम देनेवाला बसव राजू था।उसकी मौत से नक्सली नेतृत्व विहीन हो गए हैं।केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का लक्ष्य है कि मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद का नामोनिशान मिटा दिया जाएगा।छत्तीसगढ़ में इस दिशा में अभियान जारी है।छत्तीसगढ़ का वन क्षेत्र महाराष्ट्र, ओडिशा और तेलंगाना से मिला हुआ है।वहां परिवहन और संचार व्यवस्था कमजोर होने से नक्सलियों ने कब्जा कर रखा है।नक्सलियों के सफाए के साथ ही पिछड़े क्षेत्रों का विकास तेज करना होगा तथा वहां स्कूल, अस्पताल खोलने व रोजगार देने होंगे।नक्सली अपने आतंक की वजह से विकास कार्यों में बाधक बने रहे।
सड़क व पुलों को विस्फोट से उड़ा देते थे।पुलिस वाहनों पर घात लगाकर हमला करते थे।यदि कोई उद्योग खोलने की कोशिश करे तो उससे प्रोटेक्शन मनी के रूप में मोटी रकम वसूल करते थे।2006 में नक्सलवाद कैंसर की तरह देश के 160 जिलों में व्याप्त था और आंतरिक सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा बन गया था।गत माह केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि पहले देश के 9 राज्यों के नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 38 थी जो अब घटकर 7 राज्यों में 18 जिलों तक सीमित रह गई है।नक्सलियों से छत्तीसगढ़ में हुई इस मुठभेड़ के पहले 21 दिनों तक ऑपरेशन ब्लैक फारेस्ट चलाया गया जिसमें 54 नक्सली गिरफ्तार किए गए तथा 84 ने आत्मसमर्पण किया।
पढ़े-लिखे वर्ग में नक्सली प्रभाव चिंताजनक है सरकार व सुरक्षा बलों की अर्बन नक्सल पर नजर है।खुद बसवराज वारंगल के इंजीनियरिंग कालेज का स्नातक था।कानून और संविधान को नहीं माननेवाले नक्सली देश में आतंक और घोर अराजकता फैलाने का लक्ष्य रखते हैं।केंद्र व राज्य के सुरक्षा बलों के सहयोग से इनका उन्मूलन किया जा रहा है.
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा