(डिजाइन फोटो)
संघीय लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) पर इतने वर्षों से देशवासियों का भरोसा था कि वह जिन उम्मीदवारों का चयन करता है, वे वास्तव में अत्यंत योग्य होते हैं। कोई सोच नहीं सकता था कि यूपीएससी की भर्ती में भी घोटाला होता होगा। आईएएस प्रोबेशनर पूजा खेडकर के स्वच्छंद और उदंडतापूर्ण रवैये से यह बात सामने आई कि यूपीएससी परीक्षा में भी किस तरह की धांधली होती है। यूपीएससी परीक्षा में अ।भा। स्तर पर 821 वीं रैंक हासिल करनेवाली पूजा के झूठ का पर्दाफाश होता चला गया। उसने दिव्यांगता प्रमाणपत्र बनवाने के लिए जो राशन कार्ड बनवाया था, उसके लिए घर का पता भी गलत दिया था। वह एक बंद हो चुकी कंपनी का पता था।
यूपीएससी की तय सीमा से अधिक बार परीक्षाओं में बैठने के मामले में एफआईआर दर्ज करवाने के साथ यूपीएससी ने सिविल सेवा परीक्षा-2022 से पूजा की उम्मीदवारी रद्द करने तथा भविष्य की परीक्षाओं से वंचित करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इसके पहले पूजा प्रोबेशनर होने के बावजूद जिस लालबत्ती लग्जरी का इस्तेमाल करती थी उसे पुणे पुलिस ने जब्त कर लिया। अब दिल्ली पुलिस जांच करेगी कि पूजा ने किस तरह फर्जी सर्टिफिकेट लगाकर नौकरी हासिल की और किसने उसकी मदद की।
इसी दौरान यूपीएससी के चेयरमैन मनोज सोनी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनका कार्यकाल मई 2029 तक था लेकिन अब वह अपना समय सामाजिक धार्मिक कार्यों में बिताना चाहते हैं। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ने सोनी को आईएएस भर्ती घोटाला की वजह से हटाया लेकिन यह मामला सार्वजनिक होने से सरकार बैकफुट पर आ गई और अपना दामन बचाने के लिए कह रही है कि उन्होंने व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दिया। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सोनी के साथ अपने निजी संबंधों का परिचय देते हुए उन्हें यूपीएससी का चेयरमैन बना दिया था।
यूपीएससी भर्ती में लग रहे घोटाले के आरोपों में घिरी सरकार इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप सकती है। नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अमिताभ कांत ने कहा कि आरक्षण के विभिन्न प्रावधानों का यूपीएससी परीक्षाओं में गलत इस्तेमाल होता है। सिविल सेवा में आने के लिए गलत तरीके अपनाने के कई मामलों से संबंधित आरोप सामने आए हैं। इन सभी मामलों की जांच होनी चाहिए और दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। लेख चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा