आज का संपादकीय (सौ.डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: शरद पवार के हाथों एकनाथ शिंदे के सत्कार से उद्धव ठाकरे गुट सतर्क हो गया, यह सोचकर कि पार्टी में और टूटफूट न हो, आदित्य ठाकरे दिल्ली जा पहुंचे। सत्कार समारोह में शिवसेना (उद्धव) गुट का एक सांसद मौजूद था. शिंदे के सत्कार पर अन्य लोगों के साथ उस सांसद ने भी ताली बजाई. यह बात ध्यान में आने पर शंका हुई कि शिंदे गुट कहीं बीजेपी की मदद से दिल्ली में तो कोई खेल खेलने नहीं जा रहा है।
इसलिए आदित्य ठाकरे ने दिल्ली जाकर अपनी पार्टी के सभी सांसदों की बैठक ली और उन्हें आगे से ऐसे किसी समारोह में पार्टी की अनुमति के बिना जाने से मना कर दिया. वस्तुतः संसद का सत्र जारी रहते विभिन्न पार्टियों के सांसद एक दूसरे से मिलते हैं और उनके बीच अनौपचारिक चर्चा होती है. वहां कोई दुराव या दुश्मनी होती नहीं।
शिवसेना (शिंदे) के सांसद प्रतापराव जाधव ने एक प्रीतिभोज कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें ठाकरे गुट के 3 सांसद संजय जाधव, नागेश आष्टीकर और भाऊसाहेब वाकचौरे शामिल हुए. 2-3 वर्ष पूर्व ये सब साथ में रह चुके हैं और अनेक वर्षों से उनका पुराना आपसी परिचय है. आदित्य ठाकरे ने इस पर आपत्ति जताई. उन्हें अपने सांसदों की निष्ठा पर संदेह होने लगा है और आशंका हुई पार्टी फिर से न टूट जाए।
सांसदों को संदेश था कि शिंदे गुट के लोगों से बात न करे, उनकी ओर न देखें और उनके किसी निमंत्रण पर भोजन करने न जाएं. इस तरह की बंदिश लगाने की बजाय देखना चाहिए कि अपनी पार्टी में कौन सी कमी है जो सदस्यों के साथ छोड़ने का डर जता रहा है ? क्या उनकी पार्टी निष्ठा इतनी कमजोर है कि किसी समारोह में ताली बजाने या किसी भोज में शामिल होने से खत्म हो जाएगी? शरद पवार की पार्टी भी टूटी लेकिन अभी भी उनकी पार्टी के कुछ लोग अजीत पवार से तालमेल करने का आग्रह करते हैं. बड़े पवार ने कभी अपनी पार्टी के सांसदों-विधायकों पर ऐसे प्रतिबंध नहीं लगाए कि दूसरे गुट के लोगों से बात मत करो या बिल्कुल मत मिलो-जुलो।
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सदस्यों को धमका कर अपनी पार्टी में रोके रखना संभव नहीं है. ऐसी बातों का कभी-कभी विपरीत परिणाम होता है. उद्धव ठाकरे को संदेह है कि एकनाथ शिंदे की शिवसेना आनेवाले दिनों में यूबीटी के कुछ सांसदों को तोड़ सकती है. सांसद संजय राऊत का आरोप है कि बीजेपी ने इस काम की जिम्मेदारी एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे को सौंपी है. उनसे कहा गया है कि वे उद्धव गुट के सांसद तोड़कर अपने साथ लाएं तभी उन्हें केंद्र सरकार में शामिल किया जाएगा. जाहिर है कि शिवसेना यूबीटी को आपरेशन टाइगर का खतरा नजर आ रहा है जिसे बीजेपी श्रीकांत शिंदे के माध्यम से अंजाम देना चाहती है।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा