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नवभारत विशेष: जासूसी के नए हथकंडे और स्लीपर सेल, सोशल मीडिया का हो रहा दुरुपयोग

आतंकवादियों को सहयोग देने वाले स्लीपिंग मॉड्यूल देश में गुपचुप तरीके से काम कर रहे हैं। इस तरह के 142 व्यक्त्ति उत्तर प्रदेश में गत 8 वर्षों में गिरफ्तार हो चुके हैं।

  • By मृणाल पाठक
Updated On: May 22, 2025 | 01:26 PM

ज्योति मल्होत्रा

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उन लोगों की कमी नहीं हैं, जो अय्याशी, धन और शोहरत के लिए अपने देश से गद्दारी कर रहे हैं। पाकिस्तान ने आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए आईएसआई के अतिरिक्त कई रास्ते अख्तियार किए हैं। इनमें सोशल मीडिया और हनी ट्रैप ऐसे टूल बनकर सामने आए हैं, जो भारत के लिए एक नई मुसीबत पैदा कर रहे हैं।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद से अब तक एक दर्जन से अधिक जासूस पंजाब, हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश से पकड़े जा चुके हैं। जब भी भारत ने राष्ट्र‌विरोधी तत्वों के खिलाफ अभियान छेड़ा है, ऐसे लोग सामने आए हैं, जिनके लिए पैसा ही सबकुछ है। हाल में जासूसी के आरोप में पकड़ी गई यू-ट्यूबर ज्योति मल्होत्रा इसका ऐसा शर्मनाक उदाहरण है, जो जयचंद की याद दिलाता है।

ज्योति जैसे लोगों की गिरफ्तारी से एक बात यह भी उभरकर सामने आ रही है कि कहीं इस तरह की हरकतें करने वाले स्लीपिंग मॉड्यूल के सहयोगी तो नहीं हैं, जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों ही तरह से पाकिस्तान को ऐसी सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं, जो भारत को हानि पहुंचा सकती है।

आतंकवादियों को सहयोग देने वाले स्लीपिंग मॉड्यूल देश में गुपचुप तरीके से काम कर रहे हैं। इस तरह के 142 व्यक्त्ति उत्तर प्रदेश में गत 8 वर्षों में गिरफ्तार हो चुके हैं। आतंक को सहयोग करने वाले, देश की सूचनाएं लीक करने वाले और ज्योति जैसे सोशल मीडिया एडिक्टों की गिरफ्तारी तो ऐसे ही लोगों के लिए एक अंगड़ाई है।

ज्योति ने क्या किया और कैसे किया यह बात हर नागरिक को उसी सोशल मीडिया से पता चल चुकी है, जिसका सहारा लेकर वह आज चर्चित हुई। एक-एक कर उसके विषय में जो बातें सामने आ रही हैं, वह बताती हैं कि किस तरह से पाकिस्तान ने हथियारों के अतिरिक्त दूसरे माध्यमों से भारत को डराने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रखी है।

बात पाकिस्तान के उन जासूसों की हैं, जो आज गली-गली में पनप रहे हैं और पाकिस्तान को समर्थन देने के लिए कुछ न कुछ कर रहे हैं। एक को पकड़ा जाता है, तो दूसरा सामने आ जाता है। कोई सोशल मीडिया पर भारत के खिलाफ लिखता है, तो कोई सेना के मूवमेंट की वीडियो बनाकर रील या शॉर्ट फिल्म के रूप में प्रसारित करता है। कुछ ऐसे समर्थक भी हैं, जो पाकिस्तान द्वारा फैलाई जा रही अफवाहों को प्रसारित करने के लिए तैयार बैठे रहते हैं। ताजमहल पर हमले का फेक समाचार भी इसी तरह की अफवाहों में आता है।

कहीं यह चेन सिस्टम तो नहीं है

सरकार स्पष्ट रूप से कह चुकी है कि हमें ऐसी गतिविधियों से बचना चाहिए, जो सेना अथवा भारत को नुकसान पहुंचाती हों। इसमें सोशल मीडिया पर कुछ भी डालने से पहले गंभीरता से ध्यान रखें, इसके बाद भी रोज ऐसे लोग सामने आ रहे हैं, जो पाकिस्तान को लाभ पहुंचाने वाली हरकत कर रहे हैं।

चिंतनीय बात यह है कि जब भारत सरकार ने पाकिस्तान के कई ऐसे माध्यम प्रतिबंधित कर दिए हैं, जो भारत के खिलाफ नफरती माहौल बनाते हैं। तब भी यह सोशल मीडिया एडिक्ट किसी न किसी तरह से उस सामग्री को कैसे ला पा रहे हैं, जो किसी भी तरह से देशहित में नहीं है?

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एक दूसरा प्रश्न यह है कि यू-ट्यूब, इंस्टाग्राम और उस जैसे दूसरे माध्यमों पर कैसे इन नफरती-जासूसों को लाखों की संख्या में सब्सक्राइबर्स मिल जाते हैं। ज्योति की गिरफ्तारी के बाद उसके साथ संबंध रखने वाले भी संदेह के घेरे में आ रहे हैं। कहीं यह चेन सिस्टम तो नहीं, जो पूरे देश में फैलाने का विचार हो। अभी तक सेना और उसके प्रतिष्ठानों की जासूसी के लिए हनी ट्रैप ही ऐसा माध्यम था, जिससे खतरा रहता था। लेकिन अब लगता है कि इस हनी ट्रैप जैसी धोखाधड़ी के बाद अब दूसरे हथकंडे चलन में अधिक आ गए हैं।

सोशल मीडिया का माध्यम पाकिस्तान का ऐसा हनी ट्रैप सिस्टम हो सकता है, जो थोड़े से लालच में सोशल मीडिया एडिक्टों को हनी ट्रैप कर रहा हो। हमें खुद ही अपने लिए वह रास्ता चुनना पड़ेगा, जिससे हम उन गतिविधियों से बच सकें, जो राष्ट्रविरोधी धारा में गिनी जाती है। उनसे बचना ही पाकिस्तान को सबक सिखाने का रास्ता भी हो सकता है।

लेख- मनोज वार्ष्णेय द्वारा

Social media misused for espionage and sleeper cell activity

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Published On: May 22, 2025 | 01:26 PM

Topics:  

  • Jyoti Malhotra
  • Operation Sindoor
  • Pakistan
  • Social Media

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