(डिजाइन फोटो)
महाराष्ट्र की छवि देश के गौरवशाली और प्रगतिशील राज्य की रही है। यहां के उद्योगों की वजह से उत्तर भारतीय राज्यों के लोग रोजी-रोजगार के लिए मुंबई आते रहे किंतु अब उद्योगों के मामले में तमिलनाडु, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। महाराष्ट्र में कितने ही उद्योग या तो बंद हो गए अथवा उन्हें अन्य राज्यों में स्थानांतरित कर दिया गया।
नागपुर में 18,000 करोड़ के निवेश के साथ सोलर पैनल प्रकल्प आनेवाला था लेकिन राजनीतिक व प्रशासकीय उदासीनता की वजह से यह प्रकल्प राज्य के बाहर चला गया। इसके अलावा विगत वर्षों में 1 लाख 69 हजार करोड़ के निवेश वाला वेदांता फॉक्सकान, रायगड़ में 80,000 करोड़ की लागत से लगनेवाला बल्क ड्रग्ज पार्क, महाराष्ट्र का अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा कार्यालय, जहाज निर्माण उद्योग, नागपुर स्थित राष्ट्रीय श्रमिक शिक्षा मंडल, पालघर स्थित सागरीय पुलिस अकादमी गुजरात में चली गई।
एयर इंडिया मुख्यालय और ट्रेडमार्क पेटेंट कार्यालय दिल्ली ले जाए गए। बेरोजगारी की समस्या भी काफी विकट है। मुंबई में विमानतल लोडर के 2216 पदों के लिए 25,000 से ज्यादा लोगों ने आवेदन किया और वहां भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई थी। पुलिस भर्ती में 3,924 पदों के लिए 1।75 लाख महिलाओं ने आवेदन किया।
राज्य पुलिस दल के 17,471 पदों के लिए 16,88,785 आवेदन आए। महाराष्ट्र में 2 वर्षों से सरकारी कर्मचारियों की मेगा भरती की घोषणा की जा रही है लेकिन प्रत्यक्ष रूप से कुछ नहीं हो रहा। 7,24,000 पद स्वीकृत रहने पर भी केवल 4,78,082 कर्मचारियों के भरोसे काम चलाया जा रहा है।
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2025 में इनमें से 16,280 कर्मचारी रिटायर हो जाएंगे। यदि कानून-व्यवस्था की ओर देखें तो अपराध बढ़े हैं। गत माह नाबालिग लड़कियों के अपहरण के 89 प्रकरण दर्ज हुए। महिलाओं से छेड़छाड़ के 184 मामले दर्ज हुए। जनवरी 2023 से जुलाई 2024 तक 19 महीनों में 80 बालक लापता हो गए।
वेश्यावृत्ति या भीख मंगवानेवाले गिरोह इसके पीछे हो सकते हैं। यह स्थिति बेहद खतरनाक है। अधिकांश कारागृहों में क्षमता से काफी ज्यादा कैदी हैं। इनमें से कुछ अपनी जमानत का इंतजाम न करा पाने की वजह से कैद में पड़े हैं। यदि वित्तीय स्थिति पर गौर करें तो वित्तमंत्री के अनुसार मार्च 2025 के अंत तक महाराष्ट्र पर कर्ज का बोझ 7,82,000 करोड़ रुपए को पार कर जाएगा।
10 वर्ष पूर्व यह कर्ज 2,94,000 करोड़ रुपए था। महाराष्ट्र ही नहीं, सत्ताधीशों ने देश को भी कर्जबाजारी बना डाला। 2014 में केंद्र सरकार पर कुल कर्ज का भार 55 लाख करोड़ रुपए था जो सितंबर 2024 तक बढ़कर 205 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो गया। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि यदि सरकार इसी रफ्तार से कर्ज लेती चली गई तो देश पर जीडीपी का 100 प्रतिशत कर्ज हो जाएगा। फिलहाल चुनाव के बाद महाराष्ट्र की नई सरकार को देखना है कि इन चुनौतियों से कैसे निपटा जाए।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा