रेणुका चौधरी ने गजब किया संसद परिसर में लाईं कुत्ता (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, विपक्ष के कुछ नेता कभी-कभी अजीबोगरीब हरकत करते हैं। सांसद रेणुका चौधरी संसद परिसर में एक स्ट्रीट डॉग अर्थात आवारा कुत्ता लेकर पहुंचीं। सिक्योरिटीवालों ने उन्हें नहीं रोका। कुत्ता उनकी कार के भीतर ही रहा। हमें बताइए कि रेणुका कैसी डॉग लवर हैं जो कुत्ते को संसद तक ले गईं?’
हमने कहा, ‘आप संसद की बात कर रहे हैं जबकि धर्मराज युधिष्ठिर अपने वफादार कुत्ते को स्वर्ग तक साथ ले गए थे और वहां के पहरेदारों से साफ कह दिया था कि बगैर कुत्ते के मैं स्वर्ग में नहीं जाऊंगा। इसे कहते हैं कुत्ता प्रेम! आप दत्त जयंती पर भगवान दत्तात्रेय का चित्र या प्रतिमा देखिए। उनके साथ 4 कुत्ते और 1 गाय दिखेगी। भैरव का वाहन कुत्ता है। बड़े लोगों के घर की नेमप्लेट के नीचे पट्टी लगी रहती है जिसमें लिखा होता है- कुत्ते से सावधान या बिवेयर ऑफ डॉग!’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, हम विदेशी ब्रीड के श्वान या हाउंड की बात नहीं कर रहे बल्कि लावारिस स्ट्रीट डॉग की बात कर रहे हैं जिसे रेणुका चौधरी बड़े प्रेम से अपने साथ ले गईं। मेनका हों या रेणुका, सबका उद्देश्य जीवदया होता है। ‘पीटा’ नामक संस्था इन प्राणियों के संरक्षण के पक्ष में है। ताजा खबर है कि बंगाल के नवद्वीप की स्वरूपनगर रेल कॉलोनी में एक लावारिस नवजात शिशु की आवारा कुत्तों के झुंड ने आसपास घेरा बनाकर रक्षा की। जब सुबह राधा भौमिक नामक सहृदय महिला वहां पहुंची तभी कुत्ते हटे। उस महिला ने उस शिशु को अस्पताल पहुंचाया। इससे पता चलता है कि कुत्तों में भी इंसानियत होती है। ’
ये भी पढ़ें– नवभारत विशेष के लेख पढ़ने के लिए क्लिक करें
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, आप देसी कुत्तों का पक्ष ले सकते हैं जो सड़क पर जीवन संघर्ष करते हुए रहते हैं। उन्हें खाना, पानी या आसरा कहां मिलेगा, इसका ठिकाना नहीं रहता। उन्हें स्वावलंबी बनकर इसकी खोज करनी पड़ती है। इसके विपरीत धनवान लोगों के बंगले में रोटव्हीलर या पिटबुल जैसे खूंखार कुत्ते पाले जाते हैं जो किसी पर भी जानलेवा हमला कर सकते हैं। यदि विदेशी नस्ल का कुत्ता पालने का इतना ही शौक है तो गोल्डन रिट्रीवर या लेब्राडोर पालो और हर महीने उसके डाग फूड, शैम्पू, विटामिन, स्पेशल केयर आदि पर 10,000 रुपए खर्च करो। खर्च बचाना हो तो देसी कुत्ता पालो। वह भी उतना ही वफादार होता है। ’
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा