रियल एस्टेट को बढ़ावा (डिजाइन फोटो)
नवभारत डेस्क: कॉलियर्स इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार देश में रीयल एस्टेट को और बढ़ावा देने के उद्देश्य से केंद्रीय बजट में शहरीकरण में तेजी लाने की दिशा में मार्गदर्शन दिया जा सकता है। ऐसा होने पर टीयर-2 शहरों में आर्थिक विकास के साथ बदलाव लाकर 2030 तक 1 खरब डॉलर के लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा। माना जा रहा है कि 2025-26 के बजट में रीयल एस्टेट के अगले चरण को प्रोत्साहित किया जाएगा।
नीतिगत सुधार के जरिए भारत इस क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करेगा। आगामी कुछ वर्षों में तात्कालिक और दूरगामी चुनौतियों का मुकाबला करते हुए विकास का ब्लूप्रिंट साकार हो सकेगा। 2024 में देश के 6 बड़े शहरों में 66.4 मिलियन वर्ग फीट की आफिस स्पेस लीज पर दी गई। औद्योगिक और वेयरहाउस के साथ ही आवास के लिए भूखंडों की बिक्री लगातार बढ़ी।
गत वर्ष भारत में रीयल एस्टेट में 6.5 अरब रुपए का संस्थागत निवेश हुआ। यह इसके पूर्व वर्ष की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक था। कॉलियर्स इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी के अनुसार विभिन्न सरकारी और नियामक संस्थाओं तथा निजी क्षेत्र के सहयोग से छोटे शहर और उभर रहे विकास केंद्र भविष्य के बड़े आर्थिक गलियारे साबित होंगे।
यदि सही दिशा में सुनिश्चित कदम उठाए गए तो मांग में तेजी आएगी, घर खरीदी की भावना अनुकूल होगी। डेवलपर की चिंता मिटेगी और आपूर्ति को प्रोत्साहन मिलेगा। ऐसे कितने ही लोग हैं जो घर खरीदने का सपना देखते हैं लेकिन आर्थिक दृष्टि से कमजोर हैं। यदि अनुच्छेद 80 आईबीए के तहत किफायती घर खरीद के लिए टैक्स हालिडे फिर से शुरू किया जाए तो ऐसे लोग घर खरीदने के लिए काफी हद तक प्रवृत्त हो सकते हैं।
इसके अलावा मानकीकरण और किफायती घर प्रदान करने के लिए 2017 के नियमों में सुधार जरूरी है। देश के प्रमुख शहरों में आवास की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। हर आदमी अपने सिर पर छत चाहता है। इसे देखते हुए सामाजिक दायित्व की भावना को ध्यान में रख सीमेंट, स्टील व अल्यूमीनियम जैसी निर्माण सामग्री पर जीएसटी की दर घटानी होगी।
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ऐसा करने से प्रोजेक्ट की लागत नियंत्रित की जा सकेगी। सरकार को सामाजिक, भौतिक और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर की ओर मजबूती से ध्यान केंद्रित करना होगा। बुनियादी ढांचे में निवेश और क्षमता निर्माण से ही निरंतर आर्थिक विकास संभव होगा। देश में अधिक विकास केंद्रों को बढ़ावा देने से समान रूप से तरक्की का मार्ग प्रशस्त होगा। औद्योगीकरण में तेजी लाने के साथ ही आधारभूत ढांचे के विकास को भी उतना ही महत्व देना होगा।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा