तमिलनाडु में जयललिता की राजनीतिक विरासत का विवाद रह-रहकर भड़क उठता है. पहले तो जयललिता की मौत के बाद उनकी सहेली एन शशिकला पार्टी पर वर्चस्व जमाना चाहती थीं लेकिन उन्हें जेल जाने की नौबत आ गई. इसके बाद से 2 नेताओं पनीरसेल्वम और पलानीसामी के साझा नेतृत्व में एआईएडीएमके चल रही थी. जब तक सत्ता हाथ में रही, इन दोनों नेताओं का सहयोग बना रहा लेकिन स्टालिन के नेतृत्व में डीएमके सरकार आ जाने के बाद इन दोनों के आपसी संबंधों में खटाई पड़ गई.
एआईएडीएमके में वर्चस्व की लड़ाई सड़कों तक आ पहुंची. पार्टी की 2,000 सदस्यों की जनरल काउंसिल की बैठक पर मद्रास हाईकोर्ट का फैसला आने के पूर्व ही ओ. पनीरसेल्वम और उनके समर्थक पार्टी मुख्यालय जा पहुंचे और वहां जमकर तोड़-फोड़ की. पार्टी हेडक्वार्टर के बाहर पनीरसेल्वम और पलानीसामी गुटों के बीच झड़प हुई. पलानीसामी पार्टी जनरल काउंसिल की बैठक कराना चाहते थे लेकिन पनीरसेल्वम गुट इसके लिए राजी नहीं था. उसने मद्रास हाईकोर्ट में बैठक पर रोक लगाने की याचिका दायर की. हाईकोर्ट ने पनीरसेल्वम को झटका देते हुए जनरल काउंसिल मीटिंग को हरी झंडी दे दी.
पलानीसामी की अध्यक्षता वाली बैठक में प्रस्ताव पारित कर पनीरसेल्वम और उनके समर्थकों को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से हटा दिया गया. अब पार्टी में दोहरे नेतृत्व की बजाय अकेले पलानीसामी का नेतृत्व रहेगा. बैठक में तय किया गया कि पार्टी मुख्य सचिव कैडर द्वारा चुना जाएगा. अंतरिम मुख्य सचिव का नया पद भी बनाया गया. इसके अलावा बैठक में रामास्वामी पेरियार, अन्नादुरई और जयललिता को ‘भारत रत्न’ देने की मांग भी की गई.
इस बैठक के बाद पनीरसेल्वम धरने पर बैठ गए और उनके समर्थकों ने तोड़फोड़ की. पार्टी पर कब्जे की होड़ हिंसक हो उठी. इसके बाद पार्टी मुख्यालय सील कर दिया गया और धारा 144 लगा दी गई. पनीरसेल्वम पार्टी पर अपने दावे को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे, जबकि फिलहाल पलानीसामी मुख्य सचिव के रूप में पार्टी की कमान संभालेंगे. पलानीसामी ने पार्टी कोषाध्यक्ष का पद डी श्रीनिवासन को देने की घोषणा की, जबकि यह पहले पनीरसेल्वम के पास था.
त्रिभुज के तीसरे कोण के रूप में एन शशिकला एआईएडीएमके पर अपना दावा एक बार फिर से कर सकती हैं. वह जयललिता की पक्की सहेली रही हैं और छाया की तरह उनके साथ रहती थीं. माना जाता है कि जयललिता की काफी संपत्ति शशिकला व उनके पति नटराजन ने छुपा रखी है. पहले पार्टी पर कब्जे का शशिकला का प्रयास विफल रहा था लेकिन इस बार वे तैयारी में हैं. पनीरसेल्वम शशिकला से हाथ मिला सकते हैं. दोनों ही थेवर जाति के हैं और पार्टी में सेंध लगा सकते हैं.
विपक्षी पार्टी एआईएडीएमके में पड़ी फूट और आपसी लड़ाई का फायदा मुख्यमंत्री व डीएमके नेता स्टालिन को मिल सकता है. पहले जब तक जयललिता और डीएमके नेता एम करुणानिधि के बीच टक्कर थी, तब यह पार्टियां अदल-बदलकर सत्ता में आती रहीं. जनता एक चुनाव में डीएमके और दूसरे चुनाव में एआईएडीएमके को नेतृत्व सौंपती थी.