पाकिस्तानी फील्ड मार्शल मुनीर (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, अमेरिका ने पाकिस्तान के झूठ का पर्दाफाश करते हुए कहा कि उसने अमेरिकी सेना की 250वीं वर्षगांठ पर आयोजित विशेष परेड में मेहमान के तौर पर पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर को कोई निमंत्रण नहीं दिया था। व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि इस ऐतिहासिक परेड के लिए किसी भी विदेशी सेनाधिकारी को आमंत्रित नहीं किया गया।’
हमने कहा, ‘बिना कोई युद्ध जीते जनरल मुनीर ने अपने मुंह मियां मिट्ठी बनते हुए खुद को फील्ड मार्शल घोषित करवा लिया। दुनिया में फील्ड मार्शल गिने-चुने हुए हैं जिनमें भारत के केएम करियप्पा और मानेकशा के अलावा रूस के झुकोव और ब्रिटेन के मांटगोमरी का नाम उल्लेखनीय है। ऑपरेशन सिंदूर में पिटने के बाद भी मुनीर ने फील्ड मार्शल का प्रमोशन ले लिया। वहां के दब्बू प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस आर्डर पर साइन किया होगा।’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, अमेरिका तो शुरू से पाकिस्तान पर मेहरबान रहा है। उसके सारे गुनाहों की अनदेखी करता आया है। यदि अमेरिका सचमुच मुनीर को बुला लेता तो पाकिस्तान की जगहंसाई नहीं होती। उसकी नाक बच जाती।’ हमने कहा, ‘नकटे की नाक ही नहीं होती। यदि बगैर निमंत्रण के मुनीर अमेरिका जाते तो एयरपोर्ट पर उनका वीजा और स्पांसरशिप के डाक्यूमेंट चेक किए जाते और अमेरिका के होमलैंड सिक्योरिटी का अधिकारी पूछता- आप यहां आए किसलिए? मान लीजिए मुनीर के पास अमेरिका का विजिटर वीजा होता तो भी उन्हें रिसीव करने कोई अमेरिकी अधिकारी नहीं आता।
पाकिस्तानी दूतावास के लोग आते और उन्हें किसी सस्ते या किफायती किराए वाले होटल में ठहरा देते। आपको याद होगा कि जब इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे तब बिना बुलाए मेहमान के तौर पर अमेरिका में उनका भी यह हाल हुआ था। आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक के कर्ज पर पलनेवाले पाकिस्तान की साख ही कहां है। सऊदी अरब ने भी कुछ माह पहले अपने यहां रहकर भीख मांगनेवाले हजारों पाकिस्तानियों को देशनिकाला देकर उनके मुल्क वापस भेज दिया था। वैसे भी भिखमंगे को दरवाजे पर भीख दी जाती है। घर में बुलाकर डाइनिंग टेबल पर खाना नहीं खिलाया जाता!’