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विशेष: अमेरिकन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर नोबेल मैनिया अटैक, किसी को धमकाते हैं, किसी को पुचकारते

American President Donald Trump: हाल की चुनौती उन्हें अपने देश की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन से मिली है।हिलेरी ने कहा कि अगर वह यूक्रेन-रूस का युद्ध रुकवा देंगे, तो वह उन्हें नामित करेंगी।

  • By दीपिका पाल
Updated On: Aug 20, 2025 | 12:33 PM

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर नोबेल मैनिया अटैक (सौ. डिजाइन फोटो)

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नवभारत डिजिटल डेस्क: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दुनिया का सबसे बड़ा नोबेल शांति पुरस्कार लेने के लिए जितने बेकरार हैं, पुरस्कार से उनकी उतनी ही दूरियां बढ़ती जा रही हैं।वह एक कदम उसकी ओर बढ़ाने की कोशिश करते हैं तो पुरस्कार उनसे दो कदम दूर चला जाता है।वह इस पुरस्कार को लेने के लिए दूसरों को जितना धमकाते हैं, उतनी ही उनकी परेशानी बढ़ जाती है।ट्रंप इस वक्त अपने देश पर कम, इस बात पर अधिक ध्यान दे रहे हैं कि उन्हें किसी भी प्रकार से नोबेल पुरस्कार मिल जाए।हाल की चुनौती उन्हें अपने देश की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन से मिली है।हिलेरी ने कहा कि अगर वह यूक्रेन-रूस का युद्ध रुकवा देंगे, तो वह उन्हें नामित करेंगी।ट्रंप ने अब तक जितने भी काम किए हैं, वह शांति कम अशांति के अधिक नजर आते हैं।

शांति का मतलब सिर्फ यह नहीं होता कि दो देशों में युद्ध न हो या फिर सेना में कमी की जाए।शांति का मतलब यह भी होता है कि मानव के जीवन में शांति आए इसके लिए काम किया जाए।भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाकर ट्रंप ने व्यापार तथा यहां की जनता के बीच जो मानसिक अशांति पैदा की है, वह किस तरह से भारत के नेतृत्व को प्रेरित करेगी कि वह ट्रंप को नोबेल के लिए नामित करे ? ट्रंप हर वह काम कर रहे हैं, जिससे भारत दबाव में आ जाए।पाकिस्तान जो सिर्फ आतंक के लिए जाना जाता है, उसे शह देना, भारत द्वारा पीटे जाने का श्रेय खुद को दिलवाने के लिए रोज यह कहना कि मैंने युद्ध रुकवाया है, किस श्रेणी में आता है? ट्रंप को पता है कि पाकिस्तान भारत की मिसाइलों से इतना भयभीत था कि उसने खुद ही युद्ध रोकने के लिए कहा।

चाहे वह पाकिस्तान हो या फिर कांगो-रंवाडा, थाइलैंड-कंबोडिया, इजराइल-ईरान या फिर सर्बिया कोसोवो, हर कहीं परिस्थितियां अलग थीं।खुद ट्रंप ने कहा है कि उन्होंने कई युद्ध व्यापार की मदद से रुकवाए हैं।मतलब साफ है, उन्हें आर्थिक नुकसान की धमकी।अब कोई देश नहीं चाहता कि उसका आर्थिक नुकसान हो और उसके नागरिक अभावों की जिंदगी जीएं।प्रश्र उठना स्वाभाविक है कि धमकाकर, शांति कैसे लाई जा सकती है? अगर धमकाकर शांति नहीं आती, तो धमकाकर शांति का नोबेल देने की सिफारिश कैसे कराई जा सकती है? ट्रंप अपने टैरिफ को डायनामाइट की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।

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चीन, जापान, फ्रांस, ब्रिटेन, कोरिया या रूस आदि जैसे किसी भी देश ने अभी तक उनके प्रयासों को नहीं सराहा है कि उन्हें नोबेल के लिए नामांकन मिले।खुद रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने उनके समझौता कराने के सपने को तोड़कर बता दिया है कि वह उनकी धमकियों से डरने वाले नहीं हैं।पहले भी तीन बार ट्रंप को नोबेल के लिए नामित किया जा चुका है।नॉर्वे, आस्ट्रेलिया तथा स्वीडन जैसे देशों की हस्तियों ने उन्हें नामांकित किया, लेकिन अब डोनाल्ड ट्रंप ने नोबेल को मिशन के रूप में लिया है।उन्हें लगता है कि यदि उन्हें नोबेल पुरस्कार, वह भी शांति के लिए मिल जाएगा, तो वह ऐसे राष्ट्रपति के रूप में जाने जाएंगे जो हर प्रकार से श्रेष्ठ थे।महात्मा गांधी को भी नहीं मिलाः नोबेल मैनिया कह लें या फिर यह कि खुद को शांति का रहनुमा कहलाने की लालसा ही है, जिसने उन्हें भारत जैसे देश से पंगा लेने को मजबूर किया है।

लेख- मनोज वार्ष्णेय के द्वारा

Nobel mania attack on american president donald trump

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Published On: Aug 20, 2025 | 12:33 PM

Topics:  

  • America
  • Donald Trump
  • Nobel Prize

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