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नितीश कुमार के हाथों से फिसल रही रेत, बिहार में मध्यावधि चुनाव के संकेत

बिहार में इन दिनों कुछ ऐसी गतिविधियां हो रही हैं, जो महत्वपूर्ण राजनीतिक संकेत दे रही हैं। मुख्यमंत्री नितीश कुमार दिल्ली का दौरा करते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात नहीं करते। बिहार लौटने पर जनता दल (यूनाइटेड) की बैठक बुलायी जाती है, जिसमें ललन सिंह, जोकि जदयू की तरफ से केंद्र में मंत्री हैं, की अनुपस्थिति चौंका देती है।

  • By मृणाल पाठक
Updated On: Oct 08, 2024 | 01:24 PM

नीतीश कुमार (डिजाइन फोटो)

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बिहार में इन दिनों कुछ ऐसी गतिविधियां हो रही हैं, जो महत्वपूर्ण राजनीतिक संकेत दे रही हैं। मुख्यमंत्री नितीश कुमार दिल्ली का दौरा करते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात नहीं करते। बिहार लौटने पर जनता दल (यूनाइटेड) की बैठक बुलायी जाती है, जिसमें ललन सिंह, जोकि जदयू की तरफ से केंद्र में मंत्री हैं, की अनुपस्थिति चौंका देती है।

बैठक में नितीश कुमार अपनी पार्टी के लिए 225 सीटें जीतने का लक्ष्य रखते हैं, जबकि वर्तमान विधानसभा के कार्यकाल में अभी लगभग एक वर्ष का समय शेष है। क्या वह बिहार में मध्यावधि चुनाव का संकेत दे रहे हैं?

ऐसी बातें सामने आ रही हैं कि ललन सिंह की अमित शाह के साथ नजदीकियां बढ़ती जा रही हैं। ललन सिंह ने लोकसभा में वक्फ विधेयक का समर्थन बीजेपी के सदस्यों से भी अधिक मुखर होकर किया था, जबकि जद(यू) इस विधेयक के विरोध में है।

तो क्या जद(यू) संसदीय दल में दो फाड़ की कोशिशें चल रही हैं? चिराग पासवान भी वक्फ विधेयक से असहमत व आरक्षण में वर्गीकरण को लेकर नाराज हैं और उन्हें डर सताये हुए है कि कहीं पिछली बार की तरह इस बार भी उनके सांसद उनसे छीन न लिए जाएं।

सहयोगी दलों को संकेत

इस बीच एक अन्य महत्वपूर्ण घटनाक्रम भी हुआ है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चेन्नई मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के फेज 2 को मंजूरी दे दी है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 27 सितंबर को प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के मात्र एक सप्ताह के भीतर केंद्र ने फेज 2 के लिए अपने हिस्से के 7,455 करोड़ रूपये के फंड को क्लियर कर दिया, जिससे 128 स्टेशनों वाली 118.9 किमी की लाइन के निर्माण में आसानी हो जायेगी।

यह भी पढ़ें- ऐन चुनाव के समय ही क्यों, राम रहीम को बार-बार पैरोल

केंद्र पिछले तीन वर्ष से अधिक से इस प्रोजेक्ट को रोके हुए था। फिर अचानक स्टालिन की मोदी से मुलाकात के तुरंत बाद प्रोजेक्ट को मंजूरी दिया जाना मात्र संयोग नहीं है। इसके जरिये बीजेपी ने एनडीए में अपने सहयोगी दलों को स्पष्ट स्ट्रेटेजिक संदेश भेजा है कि वह अपनी ‘निरंतर बढ़ती मांगों पर काबू रखें’ क्योंकि उसके पास समर्थन के अन्य विकल्प भी हैं।

पाला बदलने की राजनीति

केंद्र की मोदी सरकार फिलहाल नितीश कुमार, एन चंद्रबाबू नायडू व चिराग पासवान की पार्टियों के समर्थन पर टिकी हुई है। इन तीनों ही पार्टियों की भरपाई स्टालिन की द्रमुक कर सकती है। फिलहाल द्रमुक इंडिया गठबंधन का हिस्सा है। लेकिन सियासत में सब कुछ संभव है। दुश्मन कब दोस्त बन जायें कुछ कहा नहीं जा सकता।

चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिया गया तो जयंत चौधरी सपा का साथ छोड़कर एनडीए का हिस्सा बन गए थे। इंडिया गठबंधन को बनाने में नितीष कुमार की महत्वपूर्ण भूमिका थी, लेकिन जब लोकसभा चुनाव का निर्णायक समय आया तो वह पाला बदलकर एनडीए में शामिल हो गए। इसी तरह कौन यकीन कर सकता था कि अजीत पवार शरद पवार को धोखा देकर बीजेपी से हाथ मिला लेंगे।

बिहार में जदयू एक समय में सबसे बड़ी पार्टी हुआ करती थी, लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में वह मात्र 43 सीट ही जीत सकी थी। कभी बीजेपी तो कभी राजद के समर्थन से इस दौरान नितीश कुमार मुख्यमंत्री के पद पर तो बने रहे, लेकिन अगर उन्होंने अपनी पार्टी को मजबूत न किया तो यह पद उनके हाथ से निकल भी सकता है।

अतः अपनी पार्टी को प्रासंगिक बनाये रखने के लिए नितीश कुमार भी बीजेपी को संकेत दे रहे हैं कि उनके सांसदों से कोई छेड़छाड़ न की जाये, उन्हें ही एनडीए की तरफ से मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में पेश किया जाये, उन्हें लड़ने के लिए 243 सीटों में से 100 से कम न दी जाए और अगर ऐसा न हुआ तो उनके पास केंद्र में समर्थन वापस लेने व अन्य छोटी पार्टियों (चिराग पासवान सहित) को साथ लेकर तीसरा मोर्चा गठित करके मध्यावधि चुनाव कराने का विकल्प भी खुला हुआ है।

लेख- शाहिद ए चौधरी द्वारा 

Nitish kumar signs of mid term elections in bihar

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Published On: Oct 08, 2024 | 01:24 PM

Topics:  

  • Amit Shah
  • BJP
  • Narendra Modi
  • Nitish Kumar

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