नवभारत निशानेबाज (डिजाइन फोटो)
नवभारत डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, संस्कृत में कहा गया है- युद्धस्य वार्ता रम्या। युद्ध से जुड़ी खबरें व कथाएं मन मोह लेती हैं। राजा धृतराष्ट्र को महाभारत युद्ध के हर मोर्चे का आंखों देखा हाल संजय ने सुनाया था। वह उस जमाने का लाइव कमेंटेटर था।
पुराने राजा-महाराजाओं की 3 प्रकार की हॉबी थी। या तो वे शिकार करने जाते थे या जुआ खेलते थे नहीं तो युद्ध करते थे। समय बिताने और दिल बहलाने के लिए शौक बड़ी चीज है। केसरिया बाना पहनकर मुगलों की बड़ी सेना से युद्ध करनेवाले वीर राजपूत टीवी के विज्ञापन की तरह कभी नहीं कहते थे- बोलो जुबां केसरी!’
हमने कहा, ‘युद्ध की शुरूआत किसी घमंडी तानाशाह की सनक से होती है। द्वितीय विश्वयुद्ध हिटलर के पागलपन की वजह से भड़का था। उसका साथ इटली के मुसोलिनी, स्पेन के तानाशाह फ्रैंको और जापान के जनरल तोजो ने दिया था। युद्ध महाविनाशक होता है। 1939 से 1945 तक चले सेकंड वर्ल्ड वार की समाप्ति हिरोशिमा व नागासाकी में एटम बम गिराकर हुई।’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, जब वॉर छिड़ता है तो दुश्मन पर वार किया जाता है तलवार-बर्छी भाले और धनुष-बाण का जमाना गया। अब मिसाइल और ड्रोन का इस्तेमाल होता है। यूं तो लोग थियेटर में नाटक और फिल्म देखते आए हैं लेकिन अब युद्ध में भी थियेटर कमांड बनाकर आर्मी, नेवी और एयरफोर्स को चीफ आफ स्टाफ आदेश देता है।’
हमने कहा, ‘समय के साथ युद्ध के प्रकार बदल गए हैं। जब हॉट वार खत्म होता है तो कोल्ड वार शुरू हो जाता है। अमेरिका और तत्कालीन सोवियत यूनियन के बीच शीत युद्ध बहुत लंबा चला था। अब जमाना ट्रेड वार या टैरिफ वार का है। ट्रंप भारी-भरकम टैरिफ लगाकर चीन, कनाडा, भारत आदि देशों को बेचैन कर रहे हैं। इससे व्यापार गड़बड़ा जाएगा। बढ़े हुए टैरिफ का बोझ जनता भुगतेगी। टैरिफ वार टेरेफिक या भयानक बन सकता है।
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फिल्म ‘हेराफेरी’ में परेश रावल कहता है- ‘ये बाबूराव का स्टाइल है।’ रजनीकांत का खास स्टाइल उनके फैन बहुत पसंद करते हैं। अब दुनिया ट्रंप और उनके परम मित्र मस्क का स्टाइल देखकर हक्का-बक्का हो रही है। हमारे राज दरबारों में विदूषक या मस्खरे रहा करते थे, ट्रंप के पास मस्क हैं।’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा