विमान यात्रियों के हित में नया कानून आवश्यक (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: इंडिगो की घोर लापरवाही की वजह से एक सप्ताह से ज्यादा समय से हजारों विमान यात्री हलाकान-परेशान हो रहे हैं। दुनिया के किसी देश में इतनी लंबी अंधेरगर्दी नहीं चलती। यात्रियों को न केवल तत्काल पूरा किराया रिफंड करना चाहिए बल्कि उन्हें हुई मानसिक पीड़ा और अन्य नुकसान के लिए यथोचित मुआवजा भी दिया जाना चाहिए। विदेश में यात्रियों को न्याय दिलाने के लिए ऐसे कानून मौजूद हैं। भारत में भी विमान यात्रियों के अधिकारों से जुड़ा सख्त कानून होना चाहिए जिसके अंतर्गत एयरलाइंस की गलती से टिकट कैंसल होने, सामान पहुंचने में देरी या उसके पीछे छूट जाने पर विमान सेवा को जिम्मेदार माना जाए।
यह भ्रष्टाचार नहीं तो और क्या है कि एयरलाइंस यात्रियों की मजबूरी का अनुचित फायदा उठाते हुए मनमानी किराया वृद्धि कर देती हैं यह लूट नहीं तो और क्या है? अमेरिका में यूनाइटेड, पैन एम व डेल्टा जैसी एयरलाइंस है जहां ग्राहक समूह क्लास एक्शन सूट दायर कर विमान कंपनी में सामूहिक हर्जाना मांग सकता है। उड़ान में विलंब से कनेक्टिंग फ्लाइट मिस होने पर भी वहां हर्जाना मिलता है। इस तरह के कानून के बारे में सरकार को पहल करनी होगी क्योंकि साधन संपन्न बड़ी कंपनियों से मुकदमा लड़ना व जीतना आसान नहीं है। यह कितना बड़ा अन्याय है कि आम यात्री को दोगुना, तिगुना किराया देने के बाद भी हवाई यात्रा नसीब नहीं हो पा रही है।
विगत वर्षों में किंगफिशर, जेट एयरवेज, गोएथर जैसी विमान सेवाएं बंद होने का पूरा फायदा इंडिगो ने उठाया। स्पाइसजेट जैसी बड़ी कंपनी कर्ज से जूझ रही है। एयर इंडिया और विस्तारा का गत वर्ष विलय हो गया। इसलिए इंडिगो का एकाधिकार होता चला गया। सरकार ने एकाधिकार को सीमित करने तथा छोटी एयरलाइंस को प्रोत्साहन देने की दिशा में कदम नहीं उठाया। नए हवाई अड्डे बनने से इंडिगो को पैर फैलाने का मौका मिला। आज इंडिगो देश के आसमान के 65 प्रतिशत हिस्से को कंट्रोल करती है। नागरी उड्डन महानिदेशक ने नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन नियमों के प्रमुख प्रावधानों से इंडिगो अस्थायी रूप से एक बार के लिए 10 फरवरी तक छूट दी है।
इस राहत की हर पखवाड़े समीक्षा होगी। इंडिगो को विमान चालक दल (क्रू) के उपयोग तथा रोस्टर की नियमित रिपोर्ट पेश करनी होगी। उसे 30 दिन के भीतर रोडमैप का पूरी तरह पालन करना होगा। यात्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एफडीटीएल नियम बनाए गए जो विदेश में पहले से प्रचलित हैं लेकिन उन्हें भारत की एयरलाइंस ने गंभीरता से लागू नहीं किया। देश के नागरी उड्डयन सेक्टर में काफी वृद्धि हुई। अधिक लोग हवाई प्रवास करने लगे लेकिन एयर लाइंस का संचालन ढीला है। मुनाफाखोरी, धांधली और दिखावा अधिक है। एयर इंडिया और इंडिगो का वर्चस्व बना हुआ है। घरेलू उड़ानों में उनका 90 प्रतिशत हिस्सा है।
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8 जनवरी 2024 से लेकर 8 दिसंबर 2025 तक 23 महीने की मुद्दत मिलने पर भी इंडिगो ने सरकारी नियमों का पालन नहीं किया। जब अन्य एयरलाइंस नियमों को मान रही थी तब इंडिगो ने विमानों की तादाद बढ़ाने के साथ अपने पायलटों व क्रू की तादाद क्यों नहीं बढ़ाई? पायलटों से ड्यूटी ऑवर के बाद काम नहीं लिया जा सकता। इंडिगो ने खुद को नहीं सुधारा। उसका रवैया रेगुलेटर पर दबाव डालने का रहा ताकि वह नए सुरक्षा नियमों से उसे छूट दें। एयरपोर्ट का ग्राउंड स्टाफ अकारण ही यात्रियों की नाराजगी झेल रहा है जबकि कसूरवार इंडिगो है। हालात सामान्य बनाने के लिए सरकार को प्रभावी हस्तक्षेप करना होगा।
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा