महाराष्ट्र की इकोनॉमी देश में होगी अव्वल (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: मॉर्गन स्टैनली की ताजा रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था आगामी 5 वर्षों में 1 लाख करोड़ डॉलर पर जा पहुंचेगी और फिर से महाराष्ट्र इकोनॉमी के मामले में देश में अव्वल होगा। इस समय राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 536 अरब डॉलर है जो कि सिंगापुर की जीडीपी के बराबर है। 2030 तक यह प्रगति दोगुनी हो जाएगी। वाहनों और उनके स्पेयर पार्ट की सर्वाधिक मैन्युफैक्चरिंग महाराष्ट्र में होती है। इस क्षेत्र में देश के कुल उत्पादन में महाराष्ट्र का योगदान 20 प्रतिशत है। इसी प्रकार दवाइयों व चिकित्सा उपकरणों में 16-17 प्रतिशत तथा वस्त्रनिर्माण में 8 से 12 प्रतिशत का योगदान है।
गुजरात के बाद महाराष्ट्र देश का दूसरा बड़ा निर्यातक राज्य है। भारत के कुल निर्यात का 15.4 प्रतिशत महाराष्ट्र से होता है। देश की जीडीपी में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 13.7 प्रतिशत है। इसमें आभूषण, इलेक्ट्रानिक वस्तुएं, रसायन, औषधियां तथा यंत्र सामग्री का समावेश है। विदेशी निवेश के मामले में भी महाराष्ट्र आगे है। गत वर्ष राज्य में 19.6 अरब डॉलर का निवेश हुआ था। आर्थिक व तकनीकी प्रगति को गति देनेवाले आईटी क्षेत्र में महाराष्ट्र के 730 ग्लोबल केपेबिलिटी केंद्र हैं। भारत में ऐसे सेंटर की कुल संख्या 1800 है। इस लिहाज से राज्य के लिए यह गौरव का विषय है।
मॉर्गन स्टैनली की रिपोर्ट में महाराष्ट्र के औद्योगिकरण, निर्यात, आर्थिक अनुशासन, साक्षरता, स्थिर नेतृत्व और प्रगति का उल्लेख किया गया है। सेवा क्षेत्र के बड़े योगदान, धातु, वाहन, पेट्रोलियम, वाहन तथा खाद्य प्रक्रिया जैसे क्षेत्रों ने भी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यद्यपि पिछले कुछ वर्षों में महाराष्ट्र में औद्योगिक उत्पादन घटा है लेकिन सर्विस सेक्टर ने प्रगति की है। गुजरात, तेलंगाना व तमिलनाडु जैसे राज्यों से महाराष्ट्र की प्रतिस्पर्धा बनी हुई है। राज्य में आधारभूत सुविधाओं में निवेश करने से बंदरगाह, नवी मुंबई एयरपोर्ट समृद्धि महामार्ग का निर्माण हुआ और अब नागपुर-गोवा एक्सप्रेस वे का निर्माण होने जा रहा है।
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इस रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र में 5.25 प्रतिशत बेरोजगारी है जो शहरी क्षेत्रों व सुशिक्षित लोगों में ज्यादा है। इसे देखते हुए रोजगार से जुड़े क्षेत्रों में हुनर सिखाने पर जोर देना होगा। महामार्गो पर सुविधाएं बढ़ाने, पर्यावरण सुरक्षा, बिजली की निरंतर पूर्ति पर ध्यान देना जरूरी है। इसी तरह भ्रष्टाचार व लालफीताशाही पर अंकुश तथा प्रशासकीय कमजोरियों को दूर करना आवश्यक है। बढ़ते शहरीकरण से नागरिक सुविधाओं पर दबाव आ रहा है जिसका हल निकालना होगा। राज्य की प्रगति के लिए सामाजिक सौहार्द्र तथा शांति-व्यवस्था बनाए रखने को प्राथमिकता देनी होगी।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा