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नवभारत डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, हैदराबाद के लड्डू यादव ने अपनी भैंस को ऐसा मूल्यवान गिफ्ट दिया जो पति अपनी पत्नी को भी नहीं देते। लड्डू ने भैंस के लिए विशेष रूप से 3 किलो सोने की चेन बनवाई और उसे प्रेम से पहना दी। जो दुबले-पतले पति अपनी स्थूल पत्नी को गुस्से में मोटी भैंस कह देते हैं उन्हें चाहिए कि लड्डू से प्रेरणा लेकर कम से कम 30 ग्राम की गोल्ड चेन पत्नी को उपहार स्वरूप दें।’’
हमने कहा, ‘‘भैंस का महत्व समझिए। गाय की तुलना में भैंस अधिक दूध देती है। भैंस का दूध गाढ़ा होता है। पशुपालकों का दूध का धंधा भैंस के भरोसे चलता है। मुर्रा प्रजाति की भैंस सबसे महंगी रहती है। जब यूपी में सपा सरकार थी तो उसमें आजम खान प्रभावशाली मंत्री थे। जब आजम खान की भैंसे गुम गईं या चोरी चली गईं तो उन भैंसों की खोज में सारी यूपी पुलिस ने जमीन-आसमान एक कर दिया था।’’
हमने कहा, ‘‘कहते हैं इस देश में यवन अपने साथ भैंस लेकर आए। इसके पहले भारत में सिर्फ गाय हुआ करती थी। श्रीकृष्ण भगवान बचपन में गैया चराते थे। गाय पालने की वजह से वे गोपाल कहलाए। दत्त भगवान के चित्र में भी गाय ही दिखेगी। शास्त्रों में गोदान का बड़ा महत्व बताया गया है। मुंशी प्रेमचंद ने भी ‘गोदान’ नामक कथा लिखी थी। गाय को संपन्नता का प्रतीक माना जाता था इसलिए ‘गोधन’ कहा गया है।’’
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पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, हैदराबाद के लड्डू यादव के लिए उसकी भैंस मूल्यवान और अत्यंत प्रिय है। वह उसे ‘भैंस धन’ कह सकता है। भैंस का दूध बेचकर इतना पैसा कमाया कि उसका उपकार चुकाने के लिए भैंस को 3 किलो सोने की चेन पहना दी। जहां तक भैंस की बात है, वह पहले भी थी। देवी दुर्गा ने जिसका वध किया था वह भैंसे की आकृति वाला महिषासुर था। यमराज का वाहन भैंसा है। पहले भैंसे या हेले आपस में लड़ाए जाते थे जिसे देखने भीड़ जमा हो जाती थी। अब कानून से भैंसे की टक्कर बंद कर दी गई। भैंस को गर्मी ज्यादा लगती है इसलिए वह कीचड़-पानी में जाकर बैठना पसंद करती है।’’
हमने कहा, ‘‘भैंस को लेकर हिंदी में अनेक कहावते हैं जैसे कि अक्ल बड़ी या भैंस! भैंस के आगे बीन बजाई, वह बैठी पगुराई! भैंस के सींग भैंस को भारी नहीं होते!’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, लड्डू यादव ने भैंस को सोने की चेन तो पहना दी लेकिन अब उसकी पहरेदारी भी करनी पड़ेगी ताकि कोई चेन न चुराने न पाए।’’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा