केरल में वाम मोर्चा को BJP की चुनौती (सौ.डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: वाम मोर्चा शासित केरल में विधानसभा चुनाव निकट रहते स्थानीय निकाय चुनाव का नतीजा सत्ताधारियों के विरोध में जाना वहां हो रहे राजनीतिक परिवर्तन का संकेत देता है।राज्य में 10 वर्षों से लेफ्ट पार्टियों की सत्ता बनी हुई है लेकिन निकाय चुनाव में कांग्रेस नेतृत्व के गठबंधन को सर्वाधिक सीटें मिलीं।केरल की राजधानी तिरूवनंतपुरम में 5 दशकों से चले आ रहे वाम मोर्चा एकाधिकार को ध्वस्त कर बीजेपी ने जीत हासिल की है।इससे बीजेपी में भारी उत्साह देखा जा रहा है।
वहां मनपा और ग्रामपंचायत चुनाव में निर्वाचित बीजेपी सदस्यों की संख्या बढ़ी है।2014 से देश में मोदी लहर शुरू हुई लेकिन पूर्व में बंगाल और दक्षिण में तमिलनाडु व केरल में उसका असर नहीं पड़ा।पिछले 10 वर्षों में इन राज्यों में अपना संगठन मजबूत करने का बीजेपी ने काफी प्रयास किया।केरल के पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कोई सफलता नहीं मिल पाई थी।सबरीमाला मंदिर के विवाद में दखल देकर बीजेपी ने मतों के ध्रुवीकरण का प्रयास किया था जिसका लाभ अब उसे मिल रहा है।गत वर्ष लोकसभा चुनाव में त्रिशूर सीट पर बीजेपी को विजय मिली थी।
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इस समय निकाय चुनाव में बीजेपी ने ग्राम पंचायत में 1,442, नगरपालिका में 324 तथा महानगरपालिका में 100 सीटें जीतीं।बीजेपी का मत प्रतिशत भी बढ़ा।हिंदू मतदाताओं को संगठित करने में पार्टी को सफलता मिल रही है।अब विधानसभा चुनाव के पूर्व केरल की पिनराई विजयन सरकार महिलाओं के लिए लुभावनी घोषणाएं कर सकती है क्योंकि महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश व बिहार विधानसभा के चुनावों में ऐसी योजनाओं से सफलता मिली है।बीजेपी का फार्मूला अपना असर दिखा चुका है।जहां तक वाम मोर्चा के अस्तित्व का सवाल है, बंगाल में नामशेष हो जाने के बाद वह सिर्फ केरल और त्रिपुरा में कायम है।विधानसभा चुनाव में बीजेपी उसे टक्कर देने की तैयारी में लगी हुई है।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा