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संपादकीय: विज्ञान जगत को गहरी क्षति, नारलीकर व श्रीनिवासन का अविस्मरणीय योगदान

विख्यात वैज्ञानिक जयंत नारलीकर और परमाणु ऊर्जा विशेषज्ञ एमआर श्रीनिवासन का एक ही दिन निधन हुआ था। दोनों के वैज्ञानिक योगदान ने भारत की पहचान को विश्व मंच पर मजबूत किया।

  • By मृणाल पाठक
Updated On: May 22, 2025 | 12:43 PM

जयंत नार्लीकर और एमआर श्रीनिवासन

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संयोग है कि विख्यात खगोल वैज्ञानिक जयंत नारलीकर और भारत का पहला परमाणु ऊर्जा प्लांट बनाने वाले वैज्ञानिक एमआर श्रीनिवासन एक ही दिन परलोक सिधारे। नारलीकर के योगदान को इसलिए याद रखा जाएगा क्योंकि उन्होंने विज्ञान की प्रचलित धारणाओं को चुनौती देने का साहस दिखाया।

उन्होंने अपने गुरू ब्रिटिश खगोल भौतिकी वैज्ञानिक फ्रेड होयल के साथ मिलकर ब्रम्हांड की उत्पत्ति के बिग बैंग सिद्धांत को चुनौती दी। उन्होंने कहा कि ब्रम्हांड असीमित समय से मौजूद रहा है और उसका विस्तार होता चला गया। इसी तरह नारलीकर ने एक मराठी लघु कथा ‘एथेंसचा प्लेग’ लिखी थी जिसमें कहा गया था कि अंतरिक्ष से गिरी एक उल्का अपने साथ वायरस लाई थी जिससे एथेंस में प्लेग फैला और ग्रीस का यह शहर समाप्त हो गया।

इसके बाद अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के बाहर सूक्ष्म जीवन (माइक्रोबियल लाइफ) की खोज शुरू की। अपने उपन्यास ‘दि रिटर्न ऑफ वामन’ में नारलीकर ने ऐसी मशीन की कल्पना की थी जो मानव की बुद्धि को पीछे छोड़ देती है। यह एआई का पूर्वाभास था।

विज्ञान कथा लेखक और साहित्यकार के रूप में भी नारलीकर की ख्याति थी। माधव गाडगिल, इंदिरा नाथ और वेंकटरामन राधाकृष्णन जैसे वैज्ञानिकों के समान नारलीकर भी विदेश में अपना करियर छोड़कर भारत में विज्ञान की प्रगति के उद्देश्य से लौट आए। उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में वैज्ञानिकों को प्रशिक्षित किया।

भारतीय परंपराओं व कथाओं में उनका विश्वास था। नाशिक के मराठी साहित्य सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा था कि हमारे पूर्वज आधुनिक विज्ञान और तंत्रज्ञान जानते थे। पुष्पक विमान तथा वायव्यास्त्र, आग्नेयास्त्र बनाने का मैनुअल उपलब्ध नहीं है। संभवत: उन्होंने सांकेतिक भाषा में इस पर लिखा होगा और फिर यह जानकारी नष्ट हो गई। उन्होंने दुनिया को दिखाया कि कल्पनाशीलता विज्ञान में सहायक हो सकती है। अपनी सशक्त कथाओं से उन्होंने युवाओं में विज्ञान के प्रति रुचि जागृत की।

नारलीकर ने पहली विज्ञान कथा धूमकेतु लिखी। इसके अलावा वैज्ञानिक कथा संग्रह यक्षोपहार लिखा। उनकी रचना ‘चार नगरातले विश्व’ पर उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था। अनेक राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मान से उन्हें नवाजा गया। अंतरराष्ट्रीय खगोल संघ के कॉस्मोलॉजी कमीशन ने उन्हें अपना अध्यक्ष बनाया था।

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95 वर्ष की उम्र में इस दुनिया से विदा लेनेवाले परमाणु वैज्ञानिक एमआर श्रीनिवासन ने होमी भाभा के साथ मिलकर देश का पहला परमाणु बिजली घर ‘अप्सरा’ बनाया था। उन्होंने विक्रम साराभाई, होमी सेठना और राजा रामन्ना जैसे वैज्ञानिकों के साथ काम किया। वह न्यूक्लीयर कार्पोरेशन ऑफ इंडिया के संस्थापक थे। पद्मविभूषण से अलंकृत श्रीनिवासन को भारत में परमाणु ऊर्जा का चलता फिरता ज्ञानकोश माना जाता था।

लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा

Jayant narlikar mr srinivasan pass away on same day legendary contribution

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Published On: May 22, 2025 | 12:43 PM

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