इस्तीफे के बाद धनखड़ हो गए बेघर (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद से जगदीप धनखड़ बेघर बने हुए हैं। वाइस प्रेसीडेंट का बंगला खाली करने के बाद वह किसी सरकारी आवास में नहीं गए बल्कि इंडियन नेशनल लोकदल के नेता अभय चौटाला के दिल्ली के निकट छतरपुर फार्म हाउस में रहने चले गए हैं। चौटाला ने धनखड़ से कहा कि जब तक आपका घर तैयार नहीं हो जाता, आप यहां रहिए।’
हमने कहा, ‘जब तक अपना खुद का घर न हो, दिल को चैन नहीं मिलता। घर सिर्फ ईट-पत्थर से नहीं बनता, उससे भावनाएं जुड़ी रहती हैं। घर के महत्व को फिल्मकारों ने पहचाना तभी तो इस पर कितने ही गाने लिखे गए जैसे कि- घर आया मेरा परदेसी, प्यास बुझी मेरी अंखियन की! एक घर बनाऊंगा तेरे घर के सामने! इमली का बूटा, बूटा का बेर, चल घर जल्दी, हो गई देर! फिल्म ‘घरोंदा’ में अपने लिए घर की तलाश करते हुए अमोल पालेकर और जरीना वहाब ने गाया था- दो दिवाने शहर में, रात या दोपहर में आबोदाना ढूंढ़ते है, एक आशियाना ढूंढ़ते हैं।’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, घर को लेकर कहावतें भी हैं जैसे कि घर का भेदी लंका ढाए! घर की मुर्गी दाल बराबर! बिन घरनी घर भूत का डेरा! घर को लगी आग घर के चिराग से! कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि घर के ना घाट के! कुछ धनवान लोग घरजमाई रखते हैं जो कोई कमाई नहीं करता और ससुराल की रोटियां तोड़ता रहता है। जब किसी आशिक का घर से मोहभंग हो जाता है तो वह गाता है- घरवालों को भी बांय-शांय बोल-बाल के आया दिल्लीवाली गर्लफ्रेंड छोड़-छाड़ के! कभी वह गाता है- संसार नजर नहीं आता, घर-बार नजर नहीं आता, जब प्यार होता है!’
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हमने कहा, ‘यदि घमंड से छुटकारा पाना है तो अपनी निंदा करनेवाले को घर के पड़ोस में रखना चाहिए। मराठी में कहा गया है- निंदकाचे घर असावे शेजारी! घर का महत्व लोगों को कोरोना काल में समझा जब उन्हें वर्क फ्राम होम करना पड़ा। बच्चों को भी शिक्षक घर का काम या होम वर्क देते हैं। लोग अपनी बेटी के लिए घर का अच्छा अर्थात खुशहाल वर ढूंढ़ते हैं। विघ्न डालनेवाले लोगों की मानसिकता घर फूंक तमाशा देख वाली होती है। घरों की दूरी चल सकती है, दिलों की दूरियां नहीं रहनी चाहिए।’