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नवभारत विशेष: कैश की जांच से जज यशवंत वर्मा की बढ़ीं मुश्किलें, तीन न्यायाधीशों की जांच पैनल गठित

दस दिन, 55 गवाह, अनेक बैठकों व घटनास्थल का मुआयना करने के बाद जांच पैनल ने अपनी रिपोर्ट में न्यायाधीश वर्मा के इस बचाव तर्क को ख़ारिज कर दिया है कि उनके आधिकारिक निवास के स्टोररूम पर उनका कोई नियंत्रण नहीं था।

  • By दीपिका पाल
Updated On: Jun 21, 2025 | 01:28 PM

कैश की जांच से जज यशवंत वर्मा की बढ़ीं मुश्किलें (सौ. डिजाइन फोटो)

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नवभारत डिजिटल डेस्क: दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के आधिकारिक निवास के स्टोररूम में 14 मार्च की रात आग लगी थी।इस घटना के एक-दो दिन बाद ही यह खबर फैलने लगी कि आग बुझाने के दौरान दमकल विभाग के कर्मचारियों को स्टोररूम में बोरियों में भरे हुए 500 रुपये के नोट मिले जिनमें से काफी आधे जल गए थे।इस खबर का जब खंडन किया गया तो घटनास्थल का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें बहुत बड़ी मात्रा में अधजले करंसी नोटों को देखा जा सकता था।उच्च न्यायपालिका का ऐसे गंभीर विवाद में लिप्त होना दुर्लभ था।हालांकि जज वर्मा का बचाव तर्क था कि स्टोररूम पर उनका कोई नियंत्रण नहीं था।आरोपों की गहन जांच के लिए तीन न्यायाधीशों का एक जांच पैनल गठित किया गया, जिसने अब अपनी रिपोर्ट प्रेषित की है।

दस दिन, 55 गवाह, अनेक बैठकों व घटनास्थल का मुआयना करने के बाद जांच पैनल ने अपनी रिपोर्ट में न्यायाधीश वर्मा के इस बचाव तर्क को ख़ारिज कर दिया है कि उनके आधिकारिक निवास के स्टोररूम पर उनका कोई नियंत्रण नहीं था।पैनल का कहना है कि परिवार के सदस्यों की अनुमति के बिना कोई भी घर के अंदर प्रवेश नहीं कर सकता था।

पैनल का सवाल यह है कि अगर आग शार्ट सर्किट के कारण लगी थी तो पुलिस में शिकायत दर्ज क्यों नहीं कराई गई? पैनल ने हर गवाह के बयान को वीडियो रिकॉर्ड किया है ताकि उसकी सत्यता को भविष्य में कहीं भी चुनौती न दी जा सके।’कोठी में कैश’ जांच में सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आयी है कि वर्मा के आधिकारिक निवास के स्टोररूम में जो बोरियों में भरे हुए 500 के अधजले नोट थे, उनको 15 मार्च 2025 को पौ फटने से पहले ‘विश्वसनीय सेवकों’ द्वारा निजी सचिव की निगरानी में वहां से हटा दिया गया।

यह काम निजी सचिव द्वारा न्यायाधीश वर्मा से बात करने के बाद किया गया।रिपोर्ट में कहा गया है, ‘मजबूत अनुमानित साक्ष्यों की मौजूदगी में यह कमेटी यह मानने के लिए मजबूर है कि जज वर्मा के घरेलू स्टाफ के सबसे विश्वसनीय कर्मचारी स्टोररूम से जले हुए नोटों को हटाने में लिप्त थे, जब वहां से दमकल विभाग व पुलिस विभाग के कर्मी चले गए थे.’ जांच पैनल की रिपोर्ट से स्पष्ट हो जाता है कि न्यायाधीश वर्मा के आधिकारिक निवास के स्टोररूम में बोरियों में भरा हुआ बड़ी मात्रा में बेहिसाब अधजला रुपया था।इन हालात में उचित तो यही रहेगा कि न्यायाधीश वर्मा तुरंत प्रभाव से अपने पद से इस्तीफा दे दें और महाभियोग की प्रतीक्षा न करें जिसे संसद के मानसून सत्र में लाये जाने की चर्चा जोरों पर है।

इलाहाबाद बार एसोसिएशन की आपत्ति

मीडिया में जब यह खबर आंधी की तरह फैली कि न्यायाधीश वर्मा के घर से भारी मात्रा में नकदी मिली है, जिसका 15 से 100 करोड़ रुपये का अंदाजा लगाया गया, तो सुप्रीम कोर्ट बहुत तेजी से हरकत में आया था।उसने न्यायाधीश वर्मा का इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया था, जहां से उन्हें पहले दिल्ली ट्रांसफर किया गया था।

इलाहाबाद बार एसोसिएशन ने इस ट्रांसफर का विरोध किया यह कहते हुए कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ‘ट्रैश बिन’ (कूड़ेदान) नहीं है।बार एसोसिएशन का विरोध विशेषकर इसलिए भी था कि सिंभावली शुगर लिमिटेड के 2018 के तथाकथित बैंक घोटाले में सीबीआई ने अपनी एफआईआर में और ईडी ने अपनी ईसीआईआर में न्यायाधीश वर्मा का नाम शामिल किया था।सुप्रीम कोर्ट ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करके कहा था कि ट्रांसफर का इस केस से कोई संबंध नहीं है और उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट भेज दिया गया, जहां उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है।

दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय ने इस मामले में इन-हाउस जांच की और 21 मार्च को अपनी रिपोर्ट भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को सौंपी थी।इसके बाद ही इस मामले की जांच करने के लिए उन्होंने 22 मार्च तीन न्यायाधीशों की कमेटी का गठन किया गया था, जिसमें पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट के न्यायाधीश अनु सिवारमण शामिल थे।कांग्रेस ने कहा है कि यह जानना महत्वपूर्ण है कि पैसा किसका था और न्यायाधीश को क्यों दिया गया था?

लेख- नौशाबा परवीन के द्वारा

Investigation panel has rejected the defence arguments of judge yashwant verma in its report

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Published On: Jun 21, 2025 | 01:28 PM

Topics:  

  • Delhi High Court
  • Social Media
  • Yashwant Verma

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