भारत-नेपाल सीमा के लोगों के ऐतिहासिक संबंध (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: फिलहाल नेपाल में शांति है।लेकिन यह शांति कब तक ‘रहेगी, कोई नहीं जानता।क्योंकि सुशीला कार्की ने अंतरिम प्रधानमंत्री बनने के बाद कहा है कि वह भारत और नेपाल के बीच लिपुलेख, लिम्पिया धुरा और काला पानी जैसे विवादों को संविधान की आत्मा के मुताबिक हल करवाने की कोशिश करेंगी।देखना है कि नेपाल में उन्हें कहीं भारत की एजेंट के रूप में तो कुछ लोग बदनाम करने की कोशिश नहीं करेंगे? भारत के बीएचयू से राजनीति विज्ञान में एमए की डिग्री हासिल कर शिक्षा और विधि के क्षेत्र में अपना करिअर आगे बढ़ाने वाली नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही होगी कि वो आंदोलनकारी युवाओं के सपनों को कैसे पूरा करती हैं।
उनके सामने दूसरी बड़ी चुनौती भ्रष्टाचार की समस्या का हल खोजने की और तीसरी बड़ी चुनौती देश के के अंदरूनी हालत को काबू में रखते हुए छह माह के भीतर संसदीय चुनाव कराने और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत बनाने की है।भारत और नेपाल के रिश्तों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि दोनों देशों के सीमावर्ती क्षेत्रों में कुछ इस तरह का आलम देखने को मिलता है, जो चीज भारत में सस्ती मिलती है, उसे खरीदने के लिए नेपाली लोग बेरोक-टोक भारत चले आते हैं और ऐसी ही कोई दूसरी खरीदने के लिए भारत के लोग नेपाल जाने से परहेज नहीं करते।
उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय के एक प्रेस में में नेपाल के स्कूल के प्रश्नपत्र तक छपने आते हैं।इसी तरह उत्तरप्रदेश के लखीमपुर सरीखे कई सीमावर्ती जिलों के प्रमुख शहरों में नेपाल के लोग अपनी कार सर्विस कराने आते हैं।भारत के लोग भी सीमा पार कर नेपाल से इम्पोर्टेड सामान खरीदने जाते हैं।भारत तो अतीत में कभी मुगलों की, तो कभी अंग्रेजों की गुलामी में रह चुका है, लेकिन नेपाल कभी भी किसी देश का गुलाम नहीं रहा।नौकरी व रोजगार के रिश्ते काफी समय तक नेपाल के गोरखा राजाओं ने उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में राज जरूर किया था।
19वीं सदी के अंतिम दशक में नेपाल के राजा की भारत की अंग्रेज सरकार के साथ हुई संधि के आधार पर ही गोरखा राज का अंत हो सका था।दोनों देशों के घटनाक्रम एक-दूसरे को काफी प्रभावित करते हैं।8 10 सितंबर के बीच की अवधि में भी नेपाल में जो कुछ हुआ, उसका असर भी भारत पर प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से अवश्य ही पड़ेगा।नौकरी और रोजगार के सिलसिले में भी भारत और नेपाल के बीच गजब का से रिश्ता है।भारत का व्यवसाई जितनी जल्दी नेपाल में जाकर अपना कारोबार शुरू कर लेता है और मुनाफा कमाते हुए वहां अपना व्यवसाय जमा लेता है, उतनी आसानी से किसी अन्य देश में शायद ही संभव हो।भारत के तमाम अखबार, टीवी चैनल और सोशल मीडिया पोर्टल नेपाल की हिंसक घटनाओं की खबरों से भरे रहे।तीन दिन लगातार नेपाल की खबरें ही भारतीय मीडिया की सुर्खियां बनी रहीं।
नेपाल और भारत के संबंधों का आलम यह है कि नेपाल के कई राजनीतिक घरानों के नेताओं ने भारत में रहकर ही पढ़ाई भी की थी।फिल्म जगत का एक बड़ा नाम मनीषा कोइराला नेपाल की ही हैं, इसी तरह प्राजक्ता कोली समेत कई नेपाली हैं, जो भारतीय फिल्म उद्योग को एक अलग पहचान देते हैं।नेपाल और भारत अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से बंधे दो अलग-अलग राष्ट्र जरूर हैं, लेकिन अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए इन दोनों ही देशों के नागरिक एक-दूसरे की जमीन से कुछ इसी तरह से जुड़े हुए हैं, हैं, जिस तरह से एक ही शहर में रहने वाले दो व्यक्ति रोजी-रोटी कमाने और नौकरी करने के लिए एक-दूसरे के स्थान आते-जाते दिखाई देते हैं।
नेपाल में फैली अराजकता ने दोनों देशों के नागरिकों पर चौतरफा मार की है।एक तरफ, कामधंधे के लिए काठमांडू के समीप मौजूद सीमावर्ती गांवों के कई लोग वहां घरों में कैद हो गए हैं।उनका कहना है कि खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़ रहे हैं।उनके पास मौजूद सामान जल्द खत्म हो जाएगा।दूर-दूर तक धुंआ दिखाई दिखाई दे रहा है।दूसरी तरफ भारत के कई राज्यों के पर्यटक भी वहां फंसे हुए हैं जो सरकार से बचाव की गुहार कर रहे हैं।
लेख- ज्ञानेन्द्र पाण्डेय के द्वारा