पिता-पुत्र ने साथ दी परीक्षा (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हम से कहा, ‘निशानेबाज, पंजाब के बरनाला जिले में पिता और पुत्र ने एक साथ 12 वीं की परीक्षा दी।अवतार सिंह नामक व्यक्ति ने 1982 में 10 वीं की परीक्षा पास की थी।पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते वह आगे की पढ़ाई नहीं कर पाएं। तब 10 वीं के बाद नौकरी मिल जाती थी। अब अपने बेटे के साथ उन्होंने 12 वीं का इम्तेहान दिया। बेटे को 69 प्रतिशत और पिता को 72 प्रतिशत अंक मिले। बाप आखिर बाप ही होता है।’
हमने कहा, ‘कहावत है- बाप से बेटा सवाई! हर बाप चाहता है कि बेटा उससे भी आगे बढ़े। महाराणा प्रताप अपने पिता उदय सिंह से ज्यादा प्रसिद्ध हुए। करमचंद गांधी पोरबंदर के स्टेट के दीवान थे। उनके बेटे मोहनदास (महात्मा गांधी) विश्व विभूति बने। मोतीलाल नेहरू की तुलना में उनके बेटे जवाहरलाल ने ज्यादा नाम कमाया। सर आशुतोष मुखर्जी के बेटे डॉ। श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी।’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, यहां पिता-पुत्र के एकसाथ पढ़ने की बात हो रही है। अटलबिहारी वाजपेयी और उनके पिता कृष्णबिहारी वाजपेयी दोनों ने एकसाथ लखनऊ के लॉ कालेज में एडमिशन लेकर पढ़ाई की थी।
एक दिन पिता घर में रहकर खाना बनाते थे, तो उस दिन पुत्र कॉलेज जाता और नोट्स लेता था। दूसरे दिन पुत्र खाना बनाने की ड्यूटी करता था, तो पिता कॉलेज जाया करते थे। है न इंट्रेस्टिंग बात!’ हमने कहा, ‘नागपुर में भी विद्वान वक्ता डॉक्टर वेदप्रकाश मिश्रा और उनके पिता पं.गंगाप्रसाद मिश्रा ने एकसाथ बैचलर ऑफ जर्नलिज्म (बीजे) में एडमिशन लिया था। दोनों ने साथ पढ़कर डिग्री ली। नागपुर में डा. श्रीकांत जिचकार के बाद सर्वाधिक डिग्रियां डॉ. वेदप्रकाश मिश्रा की हैं। व्यक्ति में उत्साह, ललक और जुनून हो तो वह किसी भी उम्र में पढ़ाई कर सकता है।
ऐसे कितने ही वकील मिलेंगे, जिन्होंने सरकारी नौकरी से रिटायर होने के बाद कानून की पढ़ाई। की और एडवोकेट बन गए।’ पड़ोसी ने कहा, ‘जरूरी नहीं है कि हर बेटा योग्य या काबिल साबित हो। संत कबीरदास ने अपने बेटे कमाल के बारे में हताशा व्यक्त करते हुए कहा था- डूबा वंश कबीर का, उपजा पूत कमाल ! अपराधियों के बारे में कहा जाता है- बाप एक नंबरी तो बेटा दस नंबरी! किसी डींग हांकनेवाले के बारे में कहा जाता है- बाप ने मारी मेंढकी, बेटा तीरंदाज !’
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा