कौन सोच सकता था कि अप्रैल महीने में बरसात (Maharashtra Unseasonal Rain) जैसा मौसम हो जाएगा। इस बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि से समूचे विदर्भ में रबी फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया। प्रकृति के बदले तेवर ने उनके मुंह से निवाला छीन लिया। पश्चिम विदर्भ में तो सर्वाधिक क्षति हुई। अकेले अमरावती जिले में 35,389 हेक्टेयर क्षेत्र की फसलें तबाह हो गईं। गेहूं, ज्वार, मका, चना, मूंग, मुंगफली के अलावा संतरा, आम जैसे फलों और सब्जियों को भी भारी नुकसान पहुंचा। इससे एक ओर तो किसानों को खून के आंसू रोने की नौबत आ गई दूसरी ओर इससे महंगाई और बढ़ेगी।
4 दिन की तूफानी बारिश ने बिल्कुल गीले अकाल जैसी स्थिति ला दी। यह प्राकृतिक संकट ऐसे समय आया जब प्रशासनिक मशीनरी चुनाव के इंतजाम में व्यस्त है। खड़ी फसल जमीन पर लोट गई। फलों के वृक्ष टूट गए या झड़ गए। नींबू, चीकू, पपीता, तरबूज को क्षति पहुंची।
पानी से फल काले पड़ जाएंगे या सड़ जाएंगे। जब वृक्षों को धूप और गर्मी की आवश्यकता थी तो बेमौसम बरसात होने लगी। वर्धा जिले में 18 गांवों के 121 किसानों की 95। 40 हेक्टेयर जमीन में खड़ी फसलें क्षतिग्रस्त हो गईं। बुलढाणा जिले के 102 गांव बारिश से प्रभावित हुए। सबसे ज्यादा नुकसान खामगांव में देखा गया। अकोला के 74 गांवों में 4,000 हेक्टेयर क्षेत्र की फसलें तबाह हो गईं। तेल्हारा तहसील के 31 गांवों का बुरा हाल है। अमरावती जिले की चांदुरबाजार तहसील में 23692 हेक्टेयर की फसलों को नुकसान पहुंचा। जिले के 523 गांवों में जिनमें परतवाड़ा, अचलपुर, वलगांव, सिरजगांव, करजगांव, कविठा, धारणी, मेलघाट आदि का समावेश है, काफी नुकसान हुआ।
नागपुर जिले के गांवों में भी गेहूं, फल, सब्जी को क्षति पहुंची। प्याज और हल्दी की फसल भी बरबाद हुई। यवतमाल और भंडारा में भी काफी नुकसान हुआ। मराठवाडा के जालना, बीड, लातूर जिलों में तेज आंधी के साथ बेमौसमी बारिश ने कहर ढाया। परभणी में गाज गिरने से महिला की मृत्यु हो गई। यवतमाल जिले में 580 मकानों को बारिश से क्षति पहुंची।
कृषिमंत्री धनंजय मुंडे ने कहा कि राज्य के सहायता व पुनर्वसन विभाग ने संबंधित जिला प्रशासन को निर्धारित समय के भीतर फसलों के नुकसान का पंचनामा पूरा करने का निर्देश दिया है। यद्यपि आचार संहिता लागू होने से राहत संबंधी घोषणा करने में कठिनाई है लेकिन फिर भी आपदाग्रस्त किसानों को उचित मदद देने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। शहरी क्षेत्र में आंधी-बारिश की वजह से लोग परेशान हुए और बिजली गुल होती रही। मौसम इतना अजीब रहा कि अप्रैल माह में 55 वर्षों में सबसे कम तापमान देखने को मिला। इसके पहले 1969 में ऐसी स्थिति देखी गई थी।