रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (सौ. डिजाइन फोटो)
नेशनल डिजिटल डेस्क: शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने चीन और पाकिस्तान की धूर्ततापूर्ण मिलीभगत का पर्दाफाश करते हुए साझा बयान पर हस्ताक्षर करने से साफ इनकार कर दिया। इस वजह से यह बैठक संयुक्त बयान जारी किए बगैर ही समाप्त हो गई। यह साझा बयान असंतुलित व आधा-अधूरा था जिसमें बलूचिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों का उल्लेख था लेकिन पहलगाम के नीचतापूर्ण आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या का कोई जिक्र नहीं था।
चीन और पाकिस्तान ने अपनी सुविधा से यह बयान तैयार करवाया था क्योंकि बलूचिस्तान में चीन ग्वादर बंदरगाह का निर्माण करने में लगा है और वहां कार्यरत चीनियों की सुरक्षा की उसे फिक्र है। बलूच जनता पाकिस्तान से अपनी आजादी के लिए संघर्ष कर रही है। मानवाधिकारों को रौंदकर पाकिस्तानी सेना बलूचों पर अमानुषिक अत्याचार कर रही है। बुजुर्ग बलूच नेता बादशाह बुगती की हत्या के बाद सैकड़ों लोगों का अपहरण कर यातना देने वाला पाकिस्तान बलूचों को आतंकी बता रहा है। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का मकसद आतंकवाद जैसे मुद्दों पर साझा रणनीति बनाना है लेकिन बयान में स्पष्ट नहीं है कि वह क्या हासिल करना चाहता है। साझा बयान में सभी सदस्य देशों की सहमति व हस्ताक्षर जरूरी होते हैं।
इस संगठन में भारत, चीन और पाकिस्तान के अलावा रूस, ईरान, कजाकिस्तान, तजाकिस्तान, उजबेकिस्तान व बेलारूस का समावेश है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि अपने संकीर्ण व स्वार्थी उद्देश्यों के लिए आतंकवाद को प्रायोजित, पोषित व इस्तेमाल करनेवालों को इसके गंभीर नतीजे भुगतने पड़ेंगे। आतंकवाद से निपटने में दोहरे मानदंडों के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। इस तरह का डबल स्टैंडर्ड अपनानेवाले देशों की आलोचना करने में एससीओ को कोई संकोच नहीं करना चाहिए। दक्षिण एशिया की परिस्थितियों के बारे में सिंह ने कहा कि शांति-समृद्धि और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते। आतंकवादियों के हाथों में सामूहिक विनाश के हथियार सौंपने से शांति कायम नहीं रह सकती।
क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी है। समस्याओं की जड़ बढ़ती कट्टरता और आतंकवाद है। आतंकवाद के दोषियों, वित्त पोषकों और प्रायोजकों को जवाबदार ठहराया जाना चाहिए। राजनाथ सिंह ने सम्मेलन में पाक रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ से मुलाकात नहीं की और कहा कि कुछ देश आतंकवाद का इस्तेमाल नीतिगत साधन के रूप में कर रहे हैं।
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा