(डिजाइन फोटो)
एक समय था जब शतरंज में सोवियत संघ बनाम शेष विश्व मुकाबलों में भी सोवियत संघ का पलड़ा भारी पड़ता था। आज सोवियत संघ की जगह भारत ने ली है। इसका अंदाजा तो उसी वक्त होने लगा था। जब भारत के 14-15 साल के लड़के व लड़कियां ग्रैंडमास्टर बनने लगे थे, लेकिन इस हकीकत पर मोहर लगी 22 सितम्बर 2024 को बुडापेस्ट, हंगरी में।
जब 45 वें बेस ओलम्पियाड में भारत ने अभूतपूर्व डबल टीम गोल्ड जीता। दूसरी वरीयता प्राप्त भारत की पुरुष टीम ने तो प्रतियोगिता के समापन से एक दिन पहले अंतिम राउंड के शेष रहते ही स्वर्ण पदक सुनिश्चित कर लिया था, लेकिन पहली वरीयता प्राप्त महिला टीम को अंतिम चक्र तक संघर्ष करना पड़ा।
इससे पहले चेस ओलम्पियाड में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2022 में मामल्लापुरम, तमिलनाडु में रहा था, जब उसने दो टीम कास्य पदक जीते थे। भारत की पुरुष टीम ने 2014 में भी कांस्य पदक जीता था। अंतिम चक्र में हमारी पुरुष टीम ने स्लोवेनिया को 3।5-0।5 से पराजित करके अपने कुल अंक 21 कर लिए थे, जो आज तक में सर्वाधिक है।
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इसी स्कोरलाइन के साथ हमारी महिला टीम ने अजरबैजान को हराया और कुल 19 अंक अर्जित किये। भारत ने दो टीम गोल्ड मेडल के अतिरिक्त चार बोर्ड गोल्ड मेडल भी जीते, जोकि प्रतियोगिता में शुरू से अंत तक शानदार प्रदर्शन करने के लिए डी गुकेश, अर्जुन एरिगेसी, दिव्या देशमुख व वेतिका अग्रवाल के गलों की शोभा बने।
इस यादगार व ऐतिहासिक कामयाबी में कप्तान एन श्रीनाथ का यह निर्णय मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ कि उन्होंने भारत के टॉप रेटेड खिलाड़ी अर्जुन एरिगेसी (लाइव रेकिंग में विश्व नंबर 3) को तीसरे बोर्ड पर खिलाया। अर्जुन ने 11 चक्रों में 9 जीत व 2 ड्रा के साथ 10 अंक अर्जित किये और 195 इलो पॉइंट्स जोड़ते हुए इलो 2।797 तक पहुंचे।
गुकेश को टॉप बोर्ड पर खिलाया गया और उन्होंने 10 चक्रों में 8 जीत व 2 ड्रा के साथ 9 अंक अर्जित किये। मुकेश ने अपने इलो स्कोर में 30 पॉइंट्स जोड़े, जिससे उनके इलो 2785 हो गई है और वह लाइव रैंकिंग में विश्व नंबर 4 है। यह पहला अवसर है जब विश्व के टॉप 5 खिलाड़ियों में दो भारतीय हैं। दोनों अर्जुन व गुकेश अति सम्मानित 2800 रेटिंग मार्क के बहुत करीब है। अगर वह 2800 की बाधा पार कर लेते हैं, तो वह यह कारनामा करने वाले विश्वनाथन आनंद के बाद भारत के मात्र दूसरे खिलाड़ी होंगे।
बुडापेस्ट में भारत की शानदार यादगार विजय यात्रा के ऐतिहासिक महत्व को दो प्रमुख बातों से समझा जा सकता है। एक राह आसान नहीं थी। ओपन सेशन में 194 टीमें थी। जिनमें 245 ग्रैंडमास्टर्स सहित 977 खिलाड़ी थे, जबकि महिला वर्ग में 180 टीमें थीं, जिनमें 17 ग्रैंडमास्टर्स सहित 907 खिलाड़ी थे।
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इस कठिन मैदान में बाजी मार लेना वास्तव में चमत्कार ही है। बुडापेस्ट में भारत की कामयाबी का सारा श्रेय विश्वनाथन आनंद को ही जाता है। आज जो शतरंज के विश्व मंच पर युवा भारतीय तहलका मचा रहे हैं, वह कास्परोव के शब्दों में आनंद के मेटीस (बच्चे) हैं। आनंद ने ही गुकेश अर्जुन, प्रज्ञानंद आदि को अपनी छत्रछाया में लेकर कामयाबी की राह दिखाई। भारतीय शतरंज आनंद का सदैव ऋणी रहेगा।
लेख- कुंवर चांद खां द्वारा