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Census 2025: अगले साल से शुरू होगी जनगणना, अब सामने आएगी देश की आबादी की असली तस्वीर

कोविड महामारी की वजह से 2021 में जनगणना टालनी पड़ी थी जिसे अब 2025 से शुरू किया जाएगा जो 2026 तक चलेगी। इसके पहले हर दशक के पहले वर्ष में जनगणना कराने की परंपरा रही है।

  • By मृणाल पाठक
Updated On: Oct 30, 2024 | 12:57 PM

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नवभारत डेस्क: कोविड महामारी की वजह से 2021 में जनगणना टालनी पड़ी थी जिसे अब 2025 से शुरू किया जाएगा जो 2026 तक चलेगी। इसके पहले हर दशक के पहले वर्ष में जनगणना कराने की परंपरा रही है। अंतिम बार 2011 में यह की गई थी। संविधान में संसद और विधानसभाओं के चुनाव क्षेत्रों का पुनर्गठन करने के उद्देश्य से जनगणना कराने का उल्लेख है लेकिन यह कहीं नहीं कहा गया कि जनगणना कब की जाए।

सेंसस ऑफ इंडिया एक्ट 1948 ने भी नहीं कहा कि जनगणना कब और कितने समय के अंतराल में की जाए। इसलिए हर 10 वर्ष में जनगणना करने की कोई संवैधानिक या कानूनी बाध्यता नहीं है। ब्रिटिश प्रशासन ने इसे हर 10 वर्ष में करने की परंपरा शुरू की थी। जनगणना के आंकड़ों के आधार पर सरकार के विभिन्न मंत्रालयों तथा नीति आयोग को अपनी योजनाएं बनाने में मदद मिलती है। इस आधार पर संसाधनों की व्यवस्था की जाती है।

इसके अलावा संसदीय क्षेत्रों का परिसीमन तथा संसद में महिला आरक्षण से भी जनगणना की प्रक्रिया जुड़ी है। 2026 में जनगणना पूरी हो जाने के बाद यदि सरकार 2029 के लोकसभा चुनाव के लिए परिसीमन कराना चाहती है तो उसे वर्तमान प्रावधान में संशोधन कराना होगा। यदि निश्चित आबादी के हिसाब से चुनाव क्षेत्र बनाए गए तो घनी एवं बड़ी आबादी वाले हिंदी भाषी राज्य फायदे में रहेंगे। वहां लोकसभा सीटें बढ़ जाएंगी।

यह भी पढ़ें- भारत के लिए स्वहित सर्वोपरि, जेलेंस्की के जाल में हरर्गिज न फंसें मोदी

इसके विपरीत कम जनसंख्या वाले दक्षिण भारतीय राज्यों की सीटें कम रह जाने से वे राजनीतिक नुकसान में रहेंगे। इसके पहले 2001 की जनगणना के बाद 2002 में परिसीमन हुआ था लेकिन तब सीटों की तादाद नहीं बढ़ाई गई थी। सिर्फ निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा नए सिरे से निर्धारित की गई थीं। विपक्षी दलों ने जाति आधारित जनगणना की मांग की है लेकिन फिलहाल सरकार ने ऐसा करने का कोई औपचारिक फैसला नहीं किया है।

अब तक हुई जनगणना में धर्म और वर्ग पूछा जाता था। साथ ही सामान्य, अनुसूचित जाति व जनजाति की गणना होती आ रही है। इस बार लोगों से पूछा जा सकता है कि वे किस संप्रदाय के अनुयायी हैं। उल्लेखनीय है कि आजादी के पूर्व 1941 की जनगणना में जातियों के बारे में पूछताछ की गई थी लेकिन स्वतंत्रता के बाद 1951 से ऐसा करना बंद कर दिया गया। दक्षिण भारतीय राज्यों की चिंता देखते हुए संभवत: सरकार जनसंख्या के हिसाब से चुनाव क्षेत्र बनाने का फार्मूला ठंडे बस्ते में डाल सकती है।

कांग्रेस ने जनगणना के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पूछा है कि क्या अजा-अजजा की गिनती के साथ नई जनगणना में देश की सभी जातियों की विस्तृत गणना शामिल होगी? क्या जनगणना का इस्तेमाल लोकसभा में प्रत्येक राज्य के प्रतिनिधियों की संख्या निर्धारित करने के लिए किया जाएगा?

लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा

Census will start from 2025 now the real picture of the country population will come out

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Published On: Oct 30, 2024 | 12:57 PM

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