10वीं CBSE की 2 बार परीक्षा (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: शिक्षा क्षेत्र में नए-नए प्रयोग होने लगे हैं।यदि ऐसे प्रयोग से छात्रों को लाभ होता है तो इनकी सार्थकता है।2026 से सीबीएसई 10वीं के विद्यार्थियों की वर्ष में 2 बार परीक्षा आयोजित करेगा।इसमें पहली परीक्षा अनिवार्य होगी जो 17 फरवरी से 6 मार्च तक ली जाएगी और दूसरी परीक्षा ऐच्छिक या आप्शनल होगी जो 5 से 20 मई तक होगी।2 बार परीक्षा लेने का प्रयोजन यह है कि छात्रों को विज्ञान, गणित, समाज विज्ञान और भाषाओं में अपना परफार्मेंस सुधारने का मौका मिलेगा।
यदि एक परीक्षा में किसी कारण पेपर बिगड़ा हो या अपेक्षानुसार लिख नहीं पाए तो दूसरी परीक्षा में नए सिरे से पेपर देकर किस्मत आजमाई जा सकती है।इससे छात्रों का साल बरबाद नहीं होगा।फरवरी में होनेवाली परीक्षा का परिणाम अप्रैल में और मई में होनेवाली एग्जाम का नतीजा जून में घोषित किया जाएगा।अब अक्टूबर में होनेवाली सप्लीमेंट्री परीक्षा बंद कर दी जाएगी।वास्तव में उसकी जरूरत ही नहीं रहेगी।छात्रों व उनके पालकों के लिए राहत की बात है कि प्रैक्टिकल और इंटरनल एग्जाम पहले के समान दिसंबर-जनवरी में 1 बार ही होंगे।
सीबीएसई दूसरी परीक्षा के जरिए उन छात्रों को मौका देना चाहता है जो अपने परिणामों में सुधार चाहते हैं।यदि किसी छात्र को पहले एग्जाम में ज्यादा और दूसरे एग्जाम में कम नंबर आते हैं तो उसके पहले चरण की परीक्षा के अंकों को फाइनल माना जाएगा।दोनों परीक्षाओं का रजिस्ट्रेशन एक ही बार करना होगा।2 बार परीक्षा लेने का आप्शन चुनने पर फीस एक साथ ली जाएगी।पहली परीक्षा का नतीजा डिजी लॉकर में उपलब्ध कराया जाएगा।सभी परीक्षार्थियों को दोनों परीक्षा परिणाम आने के बाद मार्कशीट दी जाएगी।कभी ठीक से पढ़ाई नहीं कर पाने, अस्वस्थता या अन्य दिक्कत की वजह से पेपर बिगड़ जाता है।ऐसे छात्रों का भविष्य दूसरी परीक्षा में संवर सकता है।सीबीएसई बोर्ड के बारे में कहा जाता है कि उसका पाठ्यक्रम राज्यों के बोर्ड की तुलना में अधिक विस्तृत होता है।
यदि ऐसी बात है तो उसे संतुलित किया जाना चाहिए।शिक्षा में रटने पर जोर देने से मौलिक सोच का विकास नहीं हो पाता इसे देखते हुए क्या पढ़ाई के तरीके में यथोचित सुधार नहीं किया जाना चाहिए।विदेश में स्कूली छात्रों को भारी बस्ते का बोझ नहीं उठाना पड़ता।वह एक फोल्डर लेकर जाते हैं और बाकी पुस्तक व नोटबुक स्कूल के अपने लॉकर में रखते हैं।उन्हें एसाइनमेंट अवश्य पूरा करना होता है।किताबी शिक्षा के साथ कुछ अतिरिक्त योग्यताएं जैसे सोशल सर्विस या रचनात्मक गतिविधियों को भी पाठ्यक्रम का हिस्सा माना जाता है।शिक्षा ऐसा क्षेत्र है जिसे नई चुनौतियों व बदलती आवश्यकताओं के मुताबिक ढाला जा सकता है।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा