उपचुनाव नतीजों से ‘आप’का हौसला बढ़ा (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: देश के 4 राज्यों में हुए विधानसभा उपचुनाव में 5 में से 2 सीटों पर मिली विजय से आम आदमी पार्टी का हौसला बढ़ा है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में पराजय के बाद से ‘आप’ के शीर्ष नेतृत्व का स्वप्न भंग हो गया था। ऐसा लग रहा था कि शराब घोटाले और जांच एजेंसियों की कार्रवाई ने इस पार्टी के बुरे दिन ला दिए। दिलासा सिर्फ इस वजह से थी कि पंजाब में ‘आप’ की भगवंत मान सरकार का अस्तित्व बना हुआ है। अभी हुए विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस, बीजेपी और टीएमसी को प्रत्येक एक-एक सीट मिली है।
यह उपचुनाव मुख्य रूप से स्थानीय समीकरण पर निर्भर थे इसलिए इससे बड़ा राजनीतिक अर्थ नहीं निकाला जा सकता। इतने पर भी राज्यों के जनमत की दिशा का अनुमान लगाया जा सकता है। गुजरात के विसावदर मतदाता क्षेत्र में ‘आप’ का विधायक पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गया था। इस सीट का उपचुनाव बार-बार टलता आ रहा था। आखिर उपचुनाव होने पर ‘आप’ प्रत्याशी गोपाल इटालिया ने बड़े अंतर से जीत हासिल की। क्षेत्र की जनता ने ‘आप’ के प्रति अपनापन दिखाया।
2007 से यह सीट बीजेपी कभी जीत नहीं पाई। पंजाब के लुधियाना पश्चिम क्षेत्र में कांग्रेस की गुटबाजी का फायदा उठाकर ‘आप’ ने विजय पाई। बंगाल की कालीगंज सीट पर टीएमसी ने पुन: कब्जा कर अपनी मजबूती दिखा दी। वहां बीजेपी उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहा। कांग्रेस और लेफ्ट के प्रत्याशियों को जनता ने ठुकरा दिया। केरल में कांग्रेस प्रत्याशी अर्शदान शौकत ने लेफ्ट फ्रंट के उम्मीदवार को हराकर सीट जीत ली। उल्लेखनीय है कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कुछ दिनों पहले घोषणा की थी कि इस बार कांग्रेस गुजरात में चुनाव जीतेगी परंतु उपचुनाव में कांग्रेस की कमजोर स्थिति दिखाती है कि अभी उसे और प्रयास करने होंगे।
पंजाब में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय अरोरा उपचुनाव जीत कर विधानसभा में पहुंचे हैं। उनकी खाली हुई राज्यसभा सीट पर केजरीवाल के जाने का मार्ग खुल गया है। दिल्ली विधानसभा में पार्टी की पराजय के बाद केजरीवाल का राज्यसभा में जाना महत्व रखेगा। दूसरी ओर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केजरीवाल के लिए अपना पद छोड़ने का प्रस्ताव रखा है ऐसे में देखना होगा कि केजरीवाल राज्यसभा में जाना चाहेंगे या पंजाब का सीएम बनकर नया इतिहास रचना चाहेंगे? गुजरात में उपचुनाव की जीत ने केजरीवाल को उत्साहित कर दिया है। यदि केजरीवाल राष्ट्रीय राजनीति में उतरे तो कांग्रेस के विस्तार में अड़ंगा डालेंगे।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा