BJP को शिवसेना के दोनों गुटों की चुनौती (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: बृहन्मुंबई महानगरपालिका के चुनाव शीघ्र होने की संभावना है जिसमें एकनाथ शिंदे की शिवसेना तथा उद्धव ठाकरे की शिवसेना दोनों ही बीजेपी के लिए कड़ी चुनौती पेश करेंगी. देश की सबसे अधिक आय अर्जित करनेवाली बीएमसी का बजट तो देश के कुछ राज्यों से भी ज्यादा है. यह एशिया की सबसे धनवान नगर निगम है. इसलिए इस पर कब्जे की होड़ लगी रहती है।
बीएमसी का चुनाव महाराष्ट्र की राजनीति को भी काफी हद तक प्रभावित करता है. अविभाजित शिवसेना का 1985 से बीएमसी पर वर्चस्व बना रहा. शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे हिंदू हृदय सम्राट कहलाए. तब बीजेपी शिवसेना की कनिष्ठ सहयोगी पार्टी थी लेकिन फिर बीजेपी अपना प्रभाव बढ़ाती चली गई. उद्धव ठाकरे ने बीजेपी से गठबंधन तोड़कर 2017 में बीएमसी चुनाव में अपनी पार्टी को अकेले दम पर खड़ा किया. इस चुनाव में शिवसेना अकेली सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी लेकिन बीजेपी ने भी रिकार्ड सफलता हासिल की।
2012 में बीजेपी की सीटें 31 थीं जो 2017 में बढ़कर 82 हो गईं. इसके बाद से कोई चुनाव नहीं हुआ. बीजेपी का राष्ट्रीय हिंदुत्व शिवसेना के क्षेत्रीय हिंदुत्व पर भारी पड़ने लगा. उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन किया और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने. बीजेपी ने अपनी कूटनीति से शिवसेना व एनसीपी को तोड़ा और एकनाथ शिंदे को सीएम बनाया. 2024 के विधानसभा चुनाव के बाद फडणवीस फिर से मुख्यमंत्री बने। विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र विकास आघाड़ी की बुरी तरह पराजय हो जाने से एनसीपी (शरद) और कांग्रेस की हालत कमजोर हो चुकी है. अब बीएमसी के चुनाव में मुख्य मुकाबला उद्धव और शिंदे की शिवसेना के बीच होगा।
क्या इसमें शिंदे अपना वर्चस्व साबित कर पाएंगे अथवा उद्धव अपनी ताकत का डंका बजाएंगे? यह भी संभव है कि फडणवीस के नेतृत्व में बीजेपी दोनों शिवसेनाओं को पछाड़कर राष्ट्रीय हिंदुत्व की छाप अंकित करे. शिवसेना (उद्धव) अपने दम पर जोर आजमाना चाहती है लेकिन बीजेपी ने अपनी कूटनीति से उद्धव की पार्टी को काफी कमजोर कर दिया है. वर्षों से बीएमसी के चुनाव टलते आ रहे हैं मुंबई बहुभाषी शहर है।
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बीएमसी का विस्तार काफी व्यापक क्षेत्र में है. इतने पर भी इसके पूर्व बीएमसी चुनाव में 55 प्रतिशत से अधिक मतदान नहीं हुआ. मुंबई की समस्याओं की अनदेखी करने का आरोप बीएमसी पर लगता रहा है. शहर में गड्ढों और पानी निकासी की बड़ी समस्या है और हर बार बरसात के मौसम में यह संकट और गंभीर हो जाता है. बीएमसी को बड़े पैमाने पर मिलनेवाला राजस्व राजदलों को लुभाता है. इसीलिए इसका चुनाव अत्यंत प्रतिस्पर्धात्मक बन जाता है. मतदाताओं के लिए राष्ट्रीय या क्षेत्रीय नहीं बल्कि मुंबई महानगर से जुड़े मुद्दे महत्व रखते हैं।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा