मराठी भाषा विवाद (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, हमें लगता है कि राजनीति कुश्ती का अखाड़ा बनती जा रही है जिसमें नेता पहलवानों के समान ताल ठोककर चुनौती देने लगे हैं कि आजा मैदान में! आ देखें जरा, किसमें कितना है दम!’ हमने कहा, ‘सभी जानते हैं कि कुश्ती हो या राजनीति, दोनों में दांवपेंच होते हैं। अलग-अलग पार्टियों के नेता अखाड़े के उस्ताद या खलीफा के समान होते हैं और वह अपने पट्ठे तैयार करते हैं। कुश्ती में लंगी, धोबी पछाड़, ढाक जैसे दर्जनों दांव होते हैं।
मिट्टी के अखाड़े की कुश्ती मैट तक आ गई है लेकिन आज भी कोल्हापुर, दिल्ली, पटियाला के पहलवान मिट्टी के अखाड़े में चित-पट वाली कुश्ती लड़ते हैं। ओलंपिक और कामनवेल्थ गेम्स में मैट पर ग्रीको-रोमन शैली की कुश्ती खेली जाती है जो फास्ट होती है। इसके अलावा डब्ल्यूडब्ल्यूएफ में फ्री स्टाइल कुश्ती होती है। इस मारामारी वाली कुश्ती को आप मोबाइल में भी देख सकते हैं। यह मिलीजुली या नूराकुश्ती मानी जाती है।’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, हमने सलमान खान की फिल्म ‘सुलतान’ और आमिर खान की फिल्म ‘दंगल’ में कुश्ती के मुकाबले देखे हैं लेकिन इस समय राजनीतिक अखाड़े में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने चुनौती देते हुए कहा है कि राज ठाकरे अगर बहुत बड़े बॉस हैं तो वे महाराष्ट्र से बाहर आने की हिम्मत दिखाएं।
हम हिंदी का विरोध करनेवालों को पटक-पटक कर मारेंगे।’ हमने कहा, ‘माहौल गर्म करने के लिए इस तरह का चैलेंज दिया जाता है। वैसे गरजनेवाले बादल बरसते नहीं हैं। यह तो बोलने की बातें हैं कि पटक-पटक कर या दौड़ा-दौड़ा कर मारेंगे।’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, पटकने की बात से याद आया कि पं। मदनमोहन मालवीय ने बनारस में विश्वविजयी गामा पहलवान का सत्कार करवाया था।
वहां महात्मा गांधी भी मौजूद थे। जब गामा से बोलने को कहा गया तो वह बोले- हम पहलवान तो दूसरे पहलवान को पटकते हैं। महात्मा गांधी ने तो अंग्रेजी सरकार को ही पटक दिया। यह किस्सा बनारसीदास चतुर्वेदी ने अपने संस्मरणों में लिखा है।’ हमने कहा, ‘आज की उठापटक वाली राजनीति में पटकने या पटकनी देने में बीजेपी सबसे आगे है जिसने वर्षों तक प्रजेता रही कांग्रेस की चैम्पियनशिप छीन ली है।’
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा