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नवभारत विशेष: BJP ने खोजा मुफ्त की रेवड़ी पर लगाम लगाने का विकल्प, बेहद क्रांतिकारी साबित होगा कदम

RBI की ए रिस्क एनालिसिस' रिपोर्ट बताती है कि इसके चलते तमाम राज्य वित्तीय संकट की ओर बढ़ चले हैं. फ्रीबीज का सियासी चलन ऐसा ही चलता रहा, तो कुछ वर्षों में केंद्र नहीं तो तमाम राज्य सरकारे राजस्व घाटे में डूब जाएगी।

  • By दीपिका पाल
Updated On: Mar 18, 2025 | 12:25 PM

भाजपा ने ढूंढा मुफ्त रेवड़ी का विकल्प (सौ. डिजाइन फोटो)

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नवभारत डिजिटल डेस्क: चुनाव के दौरान मतदाताओं को प्रभावित करने के लिये मुफ्त की रेवड़यां यानी ‘फ्रीबीज’ पर लगाम कसने के नजरिए से भाजपा ने, जो नीतिगत निर्णय लिया है, यदि वह व्यावहारिक स्तर पर लागू हो जाए, तो बेहद क्रांतिकारी कदम साबित होगा. लोक कल्याण के नाम पर ये घोषणाएं विसंगतियां पैदा करने वाली होती हैं. ऐसी योजनाएं उत्पादकता को हतोत्साहित कर देशवासियों की आत्मनिर्भरता को नुकसान पहुंचाने वाली हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया रिपोर्ट, ‘स्टेट फाइनांस : ए रिस्क एनालिसिस’ बताती है कि इसके चलते तमाम राज्य वित्तीय संकट की ओर बढ़ चले हैं. फ्रीबीज का सियासी चलन ऐसा ही चलता रहा, तो कुछ वर्षों में केंद्र नहीं तो तमाम राज्य सरकारें राजस्व घाटे में डूब जाएंगी. विकास ठप हो जाएगा।

मुफ्त की बिजली हो या गैस सिलेंडर, लोग कुछ ज्यादा ही दरियादिली से फूंकते हैं. इससे पर्यावरण प्रभावित होता है. ऐसे में पार्टी ने फ्रीबीज की जगह उसका वैकल्पिक मॉडल तैयार किया है. सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही दो साल पहले विरोध के स्वर बुलंद किए थे. सुप्रीम कोर्ट ने भी इसको लेकर प्रतिकूल टिप्पणियां की थीं और प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया था कि वे इस बारे में कुछ ठोस करेंगे. अब दो वर्षों के भीतर भाजपा ने इसका वैकल्पिक मॉडल पेश कर दिया है. नीति कुछ इस तरह की है कि रेवडियां मुफ्त की नहीं लगेंगी, यह आभास रहेगा कि इनका मकसद वोट खरीदना नहीं, बल्कि देश व समाज का विकास, वंचितों का सबलीकरण है. इन चुनावी रेवड़ियों का न्यूनतम मूल्य जनता भी चुकाएगी।

दुष्परिणाम सीमित किए जाएंगे

यह मॉडल राजनीतिक लाभ के लिये लोकलुभावन चुनावी घोषणाओं से पार्टियों को वंचित भी नहीं करता है और इसके दुष्परिणामों को भी सीमित करता है. यह लग सकता है कि स्वयं भाजपा चुनावों के दौरान चुनावी लाभ के लिये मतदाताओं को रेवड़ियां बांटने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखती. उसको इसका लाभ भी मिला है फिर वह ऐसा कैसे कर सकती है. बात सच है, पर यह भी सत्य है कि फ्रीबीज का विकल्प लाने से पहले भाजपा ने इसके सियासी नफा नुकसान को बखूबी तौल लिया है. इसमें देश समाज और राजनीति के साथ-साथ उसका भी दूरगामी दलगत लाभ निहित है. एक व्यापक सर्वेक्षण में आधे से अधिक जनता ने मुफ्त की रेवड़यों को गैरजरूरी बताया।

78 फीसद ने इसे वोट हथियाने की चाल माना और 61 प्रतिशत लोग इसके वित्तीय दुष्परिणामों को लेकर चिंतित दिखे. धनी वर्ग का तकरीबन 85 फीसद फ्रीबीज से सहमत नहीं दिखता, तो 46 प्रतिशत गरीब भी चाहता है कि मुफ्त का माल या सुविधा देने की बजाए, उसको इन्हें खुद हासिल करने के लिये सक्षम बनाया जाए. आमजन का बड़ा हिस्सा मानता है कि हमारे टैक्स के पैसों से दूसरों को सुविधाएं दी जा रही हैं. दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान फ्रीबीज का वैकल्पिक मॉडल लागू करने से बचने वाली भाजपा, अब इसकी शुरुआत 2026 में असम के विधानसभा चुनावों से करेगी. वह यह व्यवस्था उन्हीं राज्यों में लागू करेगी, जहां उसकी सरकार है या वह जहां अपने दम पर चुनाव लड़ने वाली हो।

एकमुश्त रकम देकर उद्यमी बनाएंगे

यदि सरकारें नौकरी सृजित नहीं कर पा रहीं, लोगों को काम और आमदनी का जरिया नहीं मुहैया कर पा रहीं, औपचारिक सामाजिक सुरक्षा नहीं दे पातीं, तो दोबारा सत्ता पाने के लिए फ्रीबीज सबसे उपयुक्त उपाय है. फ्रीबीज के फायदे भी दिखे हैं. बिहार और पश्चिम बंगाल में स्कूली छात्राओं को मुफ्त साइकिल के चलते नामांकन बढ़ा तथा ड्राप आउट दर घटा. समाज के गरीब और हाशिए पर स्थित वर्गों को खाद्य, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, स्कूल यूनिफार्म, पाठ्यपुस्तक, बीमा जैसी बुनियादी सुविधाओं के चलते निर्धनता अनुपात कम हुआ है।

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लोक कल्याणकारी योजनाओं, सब्सिडी और फ्रीबीज के बीच अंतर समझना जरूरी है. सब्सिडी हर बार अनुचित नहीं होती, यहां तक कि नागरिकों की उद्यमशीलता को खत्म कर देने वाला फ्रीबीज भी यदि सुविचारित तौरपर सशर्त दिया जाए, तो ये आय असमानता को कम कर सकती है. फ्रीबीज के नए भाजपाई मॉडल में छोटे-मोटे दुकानदार, रेस्टोरेंट चलाने वाले निम्न आय वर्गीय परिवार, पिछड़े, दलित और समाज के जरूरतमंद तबकों के लोगों को सरकार सालाना एकमुश्त राशि देकर उद्यमशील बनाएगी, ताकि राज्य की जीडीपी बढ़े।

लेख- संजय श्रीवास्तव के द्वारा

Bjp found an option to curb the freebies

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Published On: Mar 18, 2025 | 12:13 PM

Topics:  

  • BJP Officials
  • Narendra Modi
  • Today Hindi News

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