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दुष्कर्मी को 10 दिन में फांसी, बंगाल में पारित हुआ अपराजिता कानून

बंगाल विधानसभा ने सर्वसम्मति से अपराजिता महिला व बाल विधेयक पारित कर दिया जिसका वर्तमान स्थिति में विशेष महत्व है। कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी महिला डॉक्टर के दुष्कर्म व हत्या के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए यह सख्त कानून बनाना अपरिहार्य हो गया था।

  • By मृणाल पाठक
Updated On: Sep 06, 2024 | 05:33 PM

(डिजाइन फोटो)

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बंगाल विधानसभा ने सर्वसम्मति से अपराजिता महिला व बाल विधेयक पारित कर दिया जिसका वर्तमान स्थिति में विशेष महत्व है। कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी महिला डॉक्टर के दुष्कर्म व हत्या के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए यह सख्त कानून बनाना अपरिहार्य हो गया था। फिलहाल बंगाल के अपराजिता कानून के प्रावधान ऐसे हैं जिनसे अपराधी अवश्य भयभीत होंगे। इस विधेयक में दुष्कर्म और हत्या के दोषियों को 10 दिनों के भीतर फांसी की सजा सुनिश्चित करने का प्रावधान रखा गया है।

दोषी के परिवार पर भी आर्थिक जुर्माना होगा। दुष्कर्म व सामूहिक दुष्कर्म के दोषियों को मृत्यु पर्यंत उम्र कैद की सजा दी जाएगी। इस विधेयक में अतिरिक्त प्रावधान जुड़ जाने के बाद यह बंगाल ही नहीं, अन्य राज्यों के लिए भी उपयोगी साबित होगा। ममता ने समय रहते यह कदम उठाया क्योंकि देश में धारणा बनती जा रही थी कि वह दुष्कर्म और हत्या के आरोपियों को बचाने और इस कांड पर परदा डालने में लगी हैं। इसका देशव्यापी विरोध होने लगा था। इस संवेदनशील मामले में राजनीति आने लगी थी।

पहले तो ममता बनर्जी ने कठोर रुख अपनाया लेकिन फिर लचीला रवैया अपनाते हुए यह विधेयक पारित करने का निर्णय लिया। इससे विपक्ष को करारा जवाब मिला। इसमें कोई शक नहीं कि इस सनसनीखेज कांड की वजह से टीएमसी सरकार की छवि खराब हुई। जब 2011 में लेफ्ट को हटाकर टीएमसी सत्ता में आई थी तब लोगों को लगा था कि राज्य में शांति और सुव्यवस्था कायम होगी लेकिन ऐसा होने की बजाय टीएमसी से जुड़े गुंडा तत्वों ने माहौल और भी बिगाड़ दिया। सभी संस्थाओं पर ममता की पार्टी ने कब्जा कर लिया।

यह भी पढ़ें- नौकरी देने में भारी भ्रष्टाचार, युवाओं की तादाद देखते हुए रोजगार कम

बांग्लादेश से अवैध रूप से आए लोगों को बढ़ावा दिया गया और हिंसा फैलाई गई। हिंदूवादी और राष्ट्रीय विचारधारा के लोगों को निशाना बनाया जाता रहा। चुनावी सफलता से टीएमसी के हौसले और बुलंद हो गए। एक पार्टी का दबदबा होने से बंगाल में हिंसा पर कोई रोक नहीं है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने ट्रेनी महिला डाक्टर के दुष्कर्म व हत्या की जांच में राज्य की पुलिस व प्रशासन की ढीली भूमिका को लेकर कड़े शब्दों में खिंचाई की थी और सीबीआई जांच का आदेश दिया था। संदेह यहां तक है कि क्या यह अस्पताल मानव अंगों की तस्करी से जुड़ा हुआ है?

यदि अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण मिलेगा तो क्या उन्हें सजा मिल पाएगी? निश्चित रूप से ममता बनर्जी की सरकार महिला डॉक्टर को सुरक्षा देने में बुरी तरह विफल रही। हिंसा और दमन की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। केंद्र सरकार कब तक यह चलने देगी? आश्चर्य इस बात का है कि ममता बनर्जी ने अपनी कमजोरी स्वीकार करने की बजाय प्रधानमंत्री मोदी, गहमंत्री अमित शाह और बीजेपी शासित सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों का इस्तीफा मांगा जो महिलाओं की रक्षा के लिए प्रभावी कानून लागू नहीं कर पाए।

लेख चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा

Aparajita law passed in bengal accused will be hanged in 10 days

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Published On: Sep 06, 2024 | 05:33 PM

Topics:  

  • Mamata Banerjee

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