एयर चीफ मार्शल का सवाल (सौ. सोशल मीडिया)
नवभारत डिजिटल डेस्क: वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह ने बहुत ही गंभीर और सामयिक सवाल किया है कि हर डिफेंस डील लेट क्यों होती है? यह ऐसा प्रश्न है जो कई दशकों से जनमत में कौंध रहा है कि जब चीन और पाकिस्तान का खतरा बना हुआ है तो आधुनिक विमान और शस्त्रास्त्रों की खरीद के सौदे वर्षों तक क्यों लटके रहते हैं? राष्ट्र की रक्षा के लिए इसे सर्वोच्च प्राथमिकता क्यों नहीं दी जाती? क्या जानबूझकर ढिलाई बरती जाती है? सौदे में विलंब से रक्षा सामग्री की कीमत बहुत बढ़ जाती है तथा तकनीक भी पुरानी पड़ जाती है। इस स्थिति के लिए कौन जिम्मेदार है? राजनेता या असंवेदनशील नौकरशाही? शायद इसका जवाब कभी नहीं मिल पाएगा। पहली बात तो यह कि सारी दुनिया में रक्षा सौदों में दलाली होती है।
हथियार निर्माता कंपनी किसी बिचौलिए के मार्फत डील करती है। जब डील है तो उसमें कमीशन होगा ही। शस्त्रों, विमानों, मिसाइलों की क्षमता के दावे का परीक्षण करनेवाले विशेषज्ञों की सेवाएं लेनी पड़ती हैं ताकि पता चल सके कि कौन सी सामग्री तुलनात्मक दृष्टि से बेहतर है। भारत अपनी रक्षा सामग्री के लिए काफी हद तक सोवियत यूनियन के जमाने से रूस पर निर्भर रहा है। वहां से खरीदे गए मिग विमान 40 साल पुराने हो गए जिन्हें इसलिए सेवा से बाहर नहीं किया जा रहा क्योंकि जरूरत के मुताबिक नए आधुनिक विमान अभी वायुसेना के पास नहीं है। फ्रांस से राफेल विमानों की पूरी खेप मिलने में अभी कुछ वर्ष और लगेंगे।
अमेरिका के एफ-17 की तुलना में राफेल के दाम कम थे लेकिन कहा जाता है कि इस विमान की निर्माता कंपनी सोर्स कोड नहीं दे रही है जिससे प्रक्षेपास्त्र जोड़नेवाली प्रणाली का संबंध है। हथियार सौदा परिपूर्ण होना चाहिए जिसमें कलपुर्जों की आपूर्ति, मरम्मत तथा अपग्रेडेशन की गुंजाइश हो। साथ ही उसे भारत में बनाने का लाइसेंस भी होना चाहिए। रक्षा सौदे आलोचना के शिकार भी हो जाते हैं। बोफोर्स तोप घोटाले का रहस्य आज तक सामने नहीं आया। सौदे से ज्यादा धन उसकी जांच पर खर्च हो गया। यही बोफोर्स (हाविटजर) तोपें कारगिल युद्ध में बहुत काम आईं।
एयर चीफ मार्शल ने टाइमलाइन को बड़ा मुद्दा बताते हुए कहा कि तेजस लड़ाकू विमान की डिलीवरी में विलंब हो रहा है। फरवरी 2021 में हिंदुस्तान एरोनाटिक्स लि। (एचएएल) के साथ 40 तेजस एमके-1ए फाइटर जेट के लिए 40,000 करोड़ रुपए का कांट्रैक्ट साइन किया गया था जिसकी 2024 से डिलीवरी शुरू होनी थी लेकिन आज तक एक भी विमान नहीं मिला। एडवांस स्टील्थ फाइटर का कोई प्रोटोटाइप नहीं है। चीन जैसे देश अपनी ताकत बढ़ा रहे हैं और यहां हमारी प्राथमिकताएं अटकी हुई हैं। कुशलतम सेना के साथ ऊंचे दर्जे के आधुनिक शस्त्र भी चाहिए। आशा है एयर चीफ मार्शल की राष्ट्र के रक्षा हितों से जुड़ी चिंता को सरकार गंभीरता से लेगी।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा