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करवा चौथ का व्रत करने वाली महिलाएं ज़रूर पढ़ें यह कथा, अखंड सौभाग्यवती होने का मिलेगा आशीर्वाद

Karwa chauth 2025: कहा जाता है कि करवा चौथ के दिन व्रत रखने वाली महिलाओं को पूजा के समय करवा चौथ व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए। मान्यता है कि इस इससे करवा माता की कृपा से अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है।

  • By सीमा कुमारी
Updated On: Oct 07, 2025 | 09:56 PM

ये है करवा चौथ की कथा (सौ.सोशल मीडिया)

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Karwa Chauth Ki Katha In Hindi : प्रेम, त्याग और समर्पण के प्रतीक करवा चौथ का पावन पर्व सुहागिन महिलाओं का प्रमुख त्योहार है। करवा चौथ का व्रत करने वाली सुहागिन महिलाएं सुबह स्नानादि नित्य कर्म करके व्रत का संकल्प लेती हैं। साथ ही ईश्वर से अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।

इसके बाद पूरे दिन निर्जला रहकर शाम में शुभ मुहूर्त में विधि विधान पूजा करती हैं। साथ ही, करवा चौथ की कथा सुनती हैं। अगर धार्मिक मान्यताओं की बात करें तो, हिन्दू धर्म में कोई भी व्रत कथा के बिना अधूरा माना जाता है। इसलिए हम आपके लिए लेकर आएं हैं करवा चौथ व्रत की कुछ पौराणिक कथाएं। आइए आपको बताते हैं करवा चौथ व्रत की कथा।

ये है करवा चौथ की कथा

करवा चौथ की कथा के अनुसार, किसी समय की बात है, एक साहूकार के सात बेटे और उनकी एक बहन करवा थी। सभी सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। यहां तक कि वे पहले उसे खाना खिलाते और बाद में स्वयं खाते थे। एक बार उनकी बहन ससुराल से मायके आई हुई थी।

शाम को भाई जब अपना व्यापार-व्यवसाय बंद कर घर आए तो देखा उनकी बहन बहुत व्याकुल थी। सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्‍य देकर ही खा सकती है। चूंकि चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी है।

सबसे छोटे भाई को अपनी बहन की हालत देखी नहीं जाती और वह दूर पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। दूर से देखने पर वह ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे चतुर्थी का चांद उदित हो रहा हो।

इसके बाद भाई अपनी बहन को बताता है कि चांद निकल आया है, तुम उसे अर्घ्य देने के बाद भोजन कर सकती हो। बहन खुशी के मारे सीढ़ियों पर चढ़कर चांद को देखती है, उसे अर्घ्‍य देकर खाना खाने बैठ जाती है।

वह पहला टुकड़ा मुंह में डालती है तो उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़ा डालती है तो उसमें बाल निकल आता है और जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुंह में डालने की कोशिश करती है तो उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिलता है। वह बौखला जाती है।

उसकी भाभी उसे सच्चाई से अवगत कराती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं और उन्होंने ऐसा किया है।

सच्चाई जानने के बाद करवा निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने देगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवन दिलाकर रहेगी। वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है। उसकी देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह एकत्रित करती जाती है।

एक साल बाद फिर करवा चौथ का दिन आता है। उसकी सभी भाभियां करवा चौथ का व्रत रखती हैं। जब भाभियां उससे आशीर्वाद लेने आती हैं तो वह प्रत्येक भाभी से ‘यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो’ ऐसा आग्रह करती है, लेकिन हर बार भाभी उसे अगली भाभी से आग्रह करने का कह चली जाती है।

इस प्रकार जब छठे नंबर की भाभी आती है तो करवा उससे भी यही बात दोहराती है। यह भाभी उसे बताती है कि चूंकि सबसे छोटे भाई की वजह से उसका व्रत टूटा था अतः उसकी पत्नी में ही शक्ति है कि वह तुम्हारे पति को दोबारा जीवित कर सकती है, इसलिए जब वह आए तो तुम उसे पकड़ लेना और जब तक वह तुम्हारे पति को जिंदा न कर दे, उसे नहीं छोड़ना। ऐसा कह कर वह चली जाती है।

सबसे अंत में छोटी भाभी आती है। करवा उनसे भी सुहागिन बनने का आग्रह करती है, लेकिन वह टालमटोली करने लगती है। इसे देख करवा उन्हें जोर से पकड़ लेती है और अपने सुहाग को जिंदा करने के लिए कहती है। भाभी उससे छुड़ाने के लिए नोचती है, खसोटती है, लेकिन करवा नहीं छोड़ती है।

ये भी पढ़ें-करवा चौथ की रात छलनी से क्यों देखती हैं महिलाएं पति को, जानिए कुछ अद्भुत मान्यताएं

अंत में उसकी तपस्या को देख भाभी पसीज जाती है और अपनी छोटी अंगुली को चीरकर उसमें से अमृत उसके पति के मुंह में डाल देती है। करवा का पति तुरंत श्रीगणेश-श्रीगणेश कहता हुआ उठ बैठता है। इस प्रकार प्रभु कृपा से उसकी छोटी भाभी के माध्यम से करवा को अपना सुहाग वापस मिल जाता है।

Women observing the fast of karva chauth must read this story

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Published On: Oct 07, 2025 | 09:51 PM

Topics:  

  • Karwa Chauth Vrat
  • Religion
  • Sanatana Dharma

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